रेप, जल्दी शादी और कम उम्र में रिलेशनशिप के चलते देश में टीनएजर्स प्रेगनेंसी के मामलों में काफी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। ऐसा हमारा नहीं बल्कि हाल में हुए एक सर्वे का कहना है। हैरानी की बात तो यह है कि ऐसी प्रेगनेंसी के सबसे ज्यादा मामले दिल्ली में सामने आए हैं। सर्वे के मुताबिक, पिछले साल दिल्ली में 1.2% टीनएजर्स प्रेगनेंसी के मामले सामने आए थे जो बढ़कर 3.3% हो गए हैं।
क्या होती है टीनएजर्स प्रेगनेंसी?
15 से 19 साल के बीच होने वाली प्रेगनेंसी को Teenagers Pregnancy कहा जाता है। 2021-21 के नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 5 में खुलासा किया गया कि सेक्सुअल हरासमेंट यानी रेप, कम उम्र में शादी और बच्चियों का जल्दी रिलेशनशिप में पड़ जाना इसकी सबसे बड़ी वजह है। गायनोकॉलजिस्टों ने इसपर चिंता भी जताई है।
गांव में प्रेगनेंसी के सबसे ज्यादा मामले
सर्वे 2015-16 के अनुसार, दिल्ली में 15-19 साल के बीच टीनएजर्स प्रेगनेंसी रेट 2.1% था जो बढ़कर 3.3% हो गया है। जब यह सर्वे हो रहा था तब 15 से 19 साल के बीच लड़कियां या तो मां बन गई थीं या फिर प्रेग्नेंट थीं। हैरानी की बात तो यह है कि गांव में ऐसी प्रेगनेंसी के केस सबसे ज्यादा है। गांव में टीनएजर्स प्रेगनेंसी रेट 9.7% जबकि शहरों में 3.2% है।
एक्सपर्ट का कहना है कि गांव की 15-19 साल के रेप विक्टम या उनके परिवार वालों को मेडिकल रीजन की ज्यादा जानकारी नहीं होती। इसके कारण वो समय पर ट्रीटमेंट नहीं ले पाते और लड़कियां प्रेग्नेंट हो जाती हैं। वहीं, इसका एक कारण यह भी है कि आज भी कुछ गांवों में लड़कियों की जल्दी शादी कर दी जाती है। बदलते समय के बावजूद भी टीनएजर्स प्रेगनेंसी बढ़ना चिंता की बात है।
शहरों में क्यों कम मामले
सर्वे में सामने आया है कि सोशल मीडिया के बढ़ते इस्तेमाल की वजह से टीनएजर्स रिलेशनशिप में दिलचस्पी ले रहे हैं। इसके कारण भी लड़कियां गर्भवती हो जाती है। ज्यादा ऐसे मामले प्राइवेट हॉस्पिटल में जाते हैं लेकिन कई बार सरकारी अस्पताल में भी टीनएजर्स प्रेगनेंसी के केस आ जाते हैं। शहरों में प्रेग्नेंसी रेट कम होने का एक कारण यह भी है कि यहां मेडिकल कंडीशन को देखकर 20 हफ्ते में अबॉर्शन कर दिया जाता है, जिससे डिलीवरी की स्थिति नहीं बनती।