तिरुवरप्पु श्रीकृष्ण मंदिर, जो केरल के कुट्टनाड में स्थित है अपनी अद्वितीय परंपराओं और विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है और यहां कई अनूठी मान्यताएं हैं जो इसे विशेष बनाती हैं। इस मंदिर में एक मान्यता है कि यहां स्थित भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति भूख से दुबली हो जाती है। ऐसा कहा जाता है कि यदि उन्हें समय पर भोजन नहीं कराया जाता, तो मूर्ति का वजन कम हो जाता है। इसी कारण मंदिर में नियमित रूप से अन्नदान (भोजन का प्रसाद) किया जाता है, और विशेष ध्यान रखा जाता है कि भगवान को समय पर भोजन अर्पित किया जाए।
तिरुवरप्पु श्रीकृष्ण मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण को प्रतिदिन चावल का प्रसाद सुबह 4 बजे अर्पित किया जाता है। यह परंपरा यहाँ सदियों से चली आ रही है। ऐसा माना जाता है कि इस समय भगवान कृष्ण को भोजन अर्पित करना आवश्यक है, अन्यथा वे भूख से पीड़ित हो सकते हैं।
यह मंदिर बहुत प्राचीन है और कहा जाता है कि यह मंदिर 1500 साल से भी अधिक पुराना है। यह मंदिर त्रावणकोर राज्य के रजवाड़ों के संरक्षण में था, और इसके ऐतिहासिक महत्व के कारण इसे केरल के प्रमुख तीर्थस्थलों में गिना जाता है।
तिरुवरप्पु मंदिर न केवल अपनी अद्वितीय परंपराओं के लिए, बल्कि अपनी गहरी आध्यात्मिकता और भक्तों की आस्था के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां पर आने वाले भक्तगण भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त करने के लिए इस विशेष रीतियों का पालन करते हैं।
मंदिर में विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के साथ पारंपरिक संगीत और नृत्य का आयोजन भी होता है। ये धार्मिक समारोह और सांस्कृतिक कार्यक्रम मंदिर की दिव्यता को और बढ़ाते हैं। यह मंदिर केरल की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे देखने के लिए हजारों भक्त यहां आते हैं।