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Utpanna Ekadashi 2020: क्यों किया जाता है व्रत? जानिए उत्पन्ना एकादशी का महत्‍व

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 10 Dec, 2020 03:32 PM
Utpanna Ekadashi 2020: क्यों किया जाता है व्रत? जानिए उत्पन्ना एकादशी का महत्‍व

उत्पन्ना एकादशी मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है, जो हिंदू धर्म में काफी महत्वपूर्ण है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से भगवान विष्णु की असीम कृपा मिलती है और सभी दुखो का नाश होता है। एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु और और देवी एकादशी की पूजा-अर्चना की जाती है। चलिए आपको बताते हैं कि आखिर क्यों किया जाता है यह व्रत और इसका महत्व...

उत्पन्ना एकादशी महत्व

एकादशी एक देवी थीं, जिनका जन्म उत्पन्ना एकादशी के दिन ही भगवान विष्णु जी से हुआ था। यही वजह है कि यह दिन उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है। स्कंद पुराण में वर्षभर की सभी एकादशियों का महत्व वैष्णव खंड में बताया गया है।

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क्यों मनाई जाती है उत्पन्ना एकादशी?

कथाओं के अनुसार देवी एकादशी ने इसी दिन प्रकट होकर अति बलशाली और अत्‍याचारी राक्षस मुर का वध किया था। तब भगवान विष्‍णु देवी को आशीर्वाद देते हुए पूज्‍यनीय बताया इसलिए मान्यता है कि इस व्रत को करने से सभी तीर्थों के दर्शन करने जितना फल मिलता है।

उत्पन्ना एकादशी का शुभ मुहूर्त:

दक्षिण भारत में इसे कार्तिक मास और उत्तर भारत में मार्गशीर्ष  महीने में मनाया जाता है। इसके मुताबिक इसकी तिथि इस तरह है...

उत्‍पन्ना एकादशी की तिथि: 10 दिसंबर 2020
एकादशी तिथि प्रारंभ: 10 दिसंबर 2020 को दोपहर 12 बजकर 51 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्‍त: 11 दिसंबर 2020 को सुबह 10 बजकर 04 मिनट तक
पारण का समय: 11 दिसंबर 2020 को दोपहर 01 बजकर 17 मिनट से दोपहर 03 बजकर 21 मिनट तक

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दान का खास महत्व

व्रत में दान का भी खास महत्व है। मान्यता है कि इस दिन फल, कपड़े, भोजन, धन का दान देने से जप, तप व दान करने से अश्वमेघ यज्ञ के बराबर फल मिलता है।

व्रत के दौरान रखें इन बातों का ध्यान

उत्पन्ना एकादशी व्रत और पूजा का फल तभी मिलेगा जब आप सभी नियमों को सही तरीके से फॉलो करें। आइए जानते हैं व्रत के कुछ जरूरी नियम...

1. व्रत के दौरान पहले व बाद में सात्विक भोजन ही करें वो भी सिर्फ एक समय।
2. दशमी के दिन रात का भोजन ना करें और भोजन के बाद मुंह भी साफ कर लें।
3. व्रत के दौरान भगवान विष्णु के नाम का जाप करें और रात को भी स्मरण करते हुए सोएं।
4. व्रत के दौरान किसी का अपमान ना करें और खासकर गुस्सा होने से बचें। साथ ही मन में बुरे विचार ना आने दें।
5. रात के समय दीप दान करें। साथ ही रात के समय दीप दान जरूर दें। द्वादशी के दिन गरीबों को दान जरूर करें। इससे आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होगी।

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