बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते है, गीली मिट्टी में हम जैसा चाहे वैसे आकार में ढाल सकते हैं। बच्चों को जैसी शिक्षा और संस्कार मिलेगी वैसा उनका व्यक्तित्व बनेगा। लेकिन कभी कभार बच्चों का ज्यादा गुस्सा करना या चिल्लाना पेरेंट्स को परेशानी में डाल देता है। हालांकि इस बात को लेकर आपको ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है। क्योंकि भावनाओं को कंट्रोल करना एक ऐसा स्किल है जो बच्चे समय के साथ धीरे-धीरे सीख जाते हैं। यहां हम आपको कुछ ऐसे तरीकों के बारे में बता रहे हैं जिनकी मदद से आप अपने बच्चे के वायलेंट बिहेवियर काे कंट्रोल कर सकते हैं। तो चलिए जानते है उनके बारे में।
हाथ न उठाएं
अगर आपका बच्चा कोई गलती करता है तो उसे थप्ड़ न मारे। क्योंकि मारपीट करने से आपका बच्चा दीढ़ हो सकता है। गलती करने पर उसे पहले प्यार से समझाए। साथ ही अपने बच्चे को दुख, गुस्से और निराशा जैसी भावनाओं से सही तरीके से डील करना सिखाएं। क्योंकि माता पिता ही बच्चे के पहले टीचर होते हैं और आप जो करते हैं, बच्चे उसे ही कॉपी कर लेते हैं।
एंगर मैनेजमेंट स्किल्स
अगर आप ही छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करेंगे तो आपका बच्चा भी आपसे यही सीखेगा। उसके सामने आप भी अपने गुस्से को कंट्रोल करें ताकि वो भी आपको देखकर ऐसा ही करें।
गुस्से से निपटने के तरीके
बच्चे को अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का सही तरीका सिखाएं। उसे लड़ने की बजाय बोलकर अपनी बात कहना सिखाएं। इससे बच्चे को अपना गुस्सा शांत करने में मदद मिलेगी।
कुछ नियम बताए
घर में कुछ नियम जरूर बनाएं जिसके चलते परिवार का कोई भी सदस्य उस नियम को तोड़ न सके। अगर कोई सदस्य घर में बदतमीजी, मारपीट या चिल्लाकर बात करके नियम तोड़ता है तो उसके लिए सख्त सजा रखें। जैसे कि नियम तोड़ने वाले को पूरे हफ्ते हरी सब्जियां खानी पड़ेंगी।
तारीफ भी करें
बच्चे के अच्छे व्यवहार पर आप उसकी पसंद का कुछ बनाकर खिला सकते हैं। हर बार कुछ बड़ा करने की जरूरत नहीं है। कभी-कभी छोटी-सी तारीफ भी बच्चे के मन को खुश कर जाती है।
डिस्कस करें
ध्यान रहे बच्चों की बातों को पेरेंट्स को ध्यान से सुनना चाहिए। लेकिन उनकी इमोशनल बातों में कभी भी दखल न दें। ऐसा करने से वह जल्दी गुस्से में आ जाते है। जब बात खत्म हो जाए तो उन्हें प्यार से समझाएं। बच्चों को समझाएं कि उन्हें किस तरह अपने इमोशंस को मैनेज करना है।