108 साल लंबा इंतजार तब खत्म हुआ जब काशी विश्वनाथ मंदिर के परिसर में विधि विधान से मां अन्नपूर्णा की मूर्ति की स्थापना की गई। इसके साथ ही मंदिर में एक नए गौरवशाली इतिहास की शुरूआत हो गई। दशकों पहले चोरी हुई मूर्ति विभिन्न चरणों से होते हुए कनाडा पंहुच गई है, जिसे अब वापस पा लिया गया है।
माता अन्नपूर्णा की प्रतिमा का स्वागत देखने लायक था, पूरी काशी इस खास मौके पर दुल्हन की तरह सजाई गई थी। । बाबा विश्वनाथ की रजत पालकी में रजत सिंहासन पर विराजमान होकर मां अन्नूपर्णा ने काशी विश्वनाथ धाम में प्रवेश किया था। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में बतौर यजमान भाग लिया।
मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा की शोभा यात्रा सोमवार सुबह दुर्गाकुंड स्थित कूष्मांडा मंदिर से निकली। इस दौरान मुख्यमंत्री पालकी को कंधे पर उठाते दिखाई दिए। जब पालकी मंदिर परिसर में पहुंची तो परिसर मंत्रोच्चार, घंटा-घड़ियाल और शंख ध्वनि से गूंज उठा। मंत्रोच्चारण के साथ प्रतिमा को प्राण प्रतिष्ठित कर काशी विश्वनाथ धाम के ईशान कोण में स्थापित किया गया
प्रतिमा के साथ ही मंदिर परिसर में पुनर्निर्माण कार्य के दौरान हटाकर रखे गए पांच अन्य विग्रहों को भी प्राण प्रतिष्ठित कर स्थापित किया गया। यह मूर्ति कनाडा के मैकेंजी आर्ट गैलरी यूनिवर्सिटी ऑफ रेजिना से प्राप्त की गई। 18वीं सदी की इस मूर्ति को चुनार के बलुआ पत्थर से बनाया गया है। मां के एक हाथ में कटोरा दूसरे हाथ में चम्मच है।