नारी डेस्क: छठ पूजा के दौरान महिलाएं, विशेषकर जब वे मासिक धर्म (पीरियड्स) में हों इस बात को लेकर अक्सर असमंजस में होती हैं कि वे पूजा और सूर्यदेव को अर्घ्य दे सकती हैं या नहीं। इस स्थिति में अधिकांश हिंदू परंपराओं में मासिक धर्म के दौरान पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों में शामिल होने से बचने की सलाह दी जाती है। इसका कारण यह है कि परंपरागत दृष्टिकोण से मासिक धर्म के समय महिला का शरीर एक प्राकृतिक प्रक्रिया से गुजरता है, जिसमें अधिक आराम की जरूरत होती है। यदि किसी महिला ने छठ पूजा का संकल्प ले रखा है और पूजा के समय पीरियड्स आ जाते हैं, तो कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए।
परंपरा के अनुसार विकल्प
यदि आप परंपरा का पालन करना चाहती हैं, तो छठ पूजा के दौरान आपके स्थान पर परिवार का कोई अन्य सदस्य सूर्यदेव को अर्घ्य दे सकता है। यह आपकी भक्ति में कोई कमी नहीं लाता। आप इस दौरान अपने मन और हृदय से छठी मईया और सूर्य देव की भक्ति कर सकती हैं। आस्था और श्रद्धा से की गई प्रार्थना का भी समान महत्व होता है।
पूजा की सामग्री को छूने से बचें
पीरियड्स के दौरान भी व्रत के सभी नियमों का पालन करना चाहिए। ऐसे में प्रभु के मंत्रों का ज्यादा से ज्यादा मनन करें। किसी विशेष पाठ का जाप करना चाहती हैं, तो फोन के जरिए पाठ पढ़ सकती हैं। स्नान के बाद साफ वस्त्र पहनकर ही मंत्र और पाठ करें। ऐसे में पूजा की सामग्री को छूने से बचने की सलाह दी जाती है.
आधुनिक दृष्टिकोण
कुछ महिलाएं यह मानती हैं कि मासिक धर्म के दौरान भी छठ पूजा का व्रत और अर्घ्य देना गलत नहीं है। ऐसे में, यदि आप सहज महसूस करती हैं और आपकी आस्था आपको इस बात की अनुमति देती है, तो आप इस दौरान पूजा और अर्घ्य दे सकती हैं। अंततः, इस निर्णय का आधार आपके व्यक्तिगत विश्वास और आस्था पर निर्भर करता है। चाहे आप किसी भी निर्णय पर पहुंचें, आपकी श्रद्धा और भक्ति का भाव महत्वपूर्ण होता है, और यही पूजा का असली सार है।