हिंदू पंचागों की मानें तो हर साल चैत्र महीने की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जयंती मनाई जाती है। इस बार भगवान बजरंगी का जन्मदिन 6 अप्रैल को मनाई जाएगी। इस दिन बजंरगी भगवान के अलग-अलग रुपों की पूजा की जाती है। इसके अलावा मान्यताओं की मानें तो हनुमान जयंती वाले दिन अंजनी पुत्र हनुमान के 108 नामों का जाप करने से व्यक्ति के जीवन से भय, कष्ट और दरिद्रता दूर होती है। हनुमान जी के कई नाम हैं जिनमें से सबसे प्रसिद्ध नाम बजरंगी बली है। इसके अलावा उन्हें मारुति भी कहते हैं लेकिन हनुमान जी को मारुती क्यों कहते हैं और इसके पीछे की क्या कहानी है आज आपको इसके बारे में बताएंगे...
भूख मिटाने के लिए निगल गए थे भगवान सूर्यदेव
पौराणिक कथाओं की मानें तो हनुमान जी का बचपन का नाम मारुति है। भगवान मारुति बचपन से ही बहुत ही शक्तिशाली थे। एक बार बालअवस्था में भगवान हनुमान को बहुत ज्यादा भूख लगी जिसके बाद उन्हें पेड़ पर एक लाल फल दिखाई दिया। अपनी भूख मिटाने के लिए हनुमान जी को उस फल को खाने की इच्छा हुई। उन्होंने उस फल को निगल लिया। फल निगलने के बाद सारे संसार में अंधेरा सा छा गया। क्योंकि बजरंगी जी के द्वारा निगला गया वो लाल फल कोई ओर नहीं बल्कि भगवान सूर्यदेव थे।
ऐसे पड़ा नाम मारुति
माना जाता है कि जिस दिन यह घटना हुई थी उस दिन अमावस्या थी जिस दिन राहू सूर्य को ग्रहण लगाने वाले थे। राहु सूर्य को ग्रहण लगाने ही वाले थे कि हनुमान जी ने उन्हें निगल लिया। इसके बाद भगवान राहु ने इस विषय पर इंद्र देव से सहायता मांगी। इंद्रदेव के बार-बार कहने पर जब हनुमान जी ने गुस्से और जिद्द में सूर्यदेव को नहीं बाहर निकाला तो भगवान इंद्र ने उनके चेहरे पर अपने ब्रज के साथ प्रहार किया। इसके बाद सूर्यदेव को मुक्त हो गए परंतु उनके ऐसे प्रहर करने से हनुमान मूर्छित होकर आकाश से धरती पर गिर गए। जिसके बाद पवनदेव इस घटना से क्रोधित होकर बजरंग बलि को एक गुफा में ले जाकर अंतर्ध्यान हो जाते हैं। उनके ऐसे चले जाने से पूरी पृथ्वी और पृथ्वी के जीवों में त्राहि-त्राहि मच जाती है।
विनाश रोकने के लिए सारे देवगण पवनदेव से प्रार्थना करते हैं जिसके बाद वह अपना क्रोध त्याग कर पृथ्वी पर प्राणवायु का प्रवाह कर देते जिसके बाद सारे देवतागण हनुमान जी को वरदान में कई सारी शक्तियां देते हैं। इसके साथ सब देवतागण उन्हें वरदान देते हैं कि उनके भक्त उन्हें मारुति के नाम से पूजेंगे। इस तरह भगवान हनुमान जी का नाम हनुमान पड़ा ।