अक्सर बच्चे दूध और दही जैसी चीजों का सेवन करने से कतराते हैं। मगर दूध और दही जैसे कैल्शियम युक्त पदार्थों की बच्चों को बहुत जरूरत होती है। खासतौर पर दही, दही बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास दोनों के लिए लाभदायक है। आइए जानते हैं बच्चों के लिए दही का सेवन करना क्यों जरूरी है और कब शुरु करना चाहिए बच्चे को दही खिलाना?
लैक्टिक एसिड
बच्चों के शारीरिक विकास के लिए उनके इम्यून सिस्टम का मजबूत होना जरूरी है, बच्चों को दही खिलाने से उनके पेट में पैदा होने वाली बैक्टीरिया खत्म होते है, जिससे बच्चे को दस्त इत्यादि की समस्या नहीं झेलनी पड़ती और बच्चे का विकास अच्छे से होता है। बच्चा 4-5 महीना को होते ही ठोस आहार लेना शुरु कर देता है, ऐसे में आप 4-5 महीना का होते ही बच्चे को दही देना शुरु कर सकते हैं।
नहीं बनने देता गैस
बच्चों के पेट में गैस बहुत जल्द बन जाती है, जिस वजह से उन्हें कई बार बहुत परेशानी झेलनी पड़ती है। पेट में गैस होने की वजह से बच्चे चिड़चिड़े हो जाते हैं, वह अच्छे से खाते-पीते नहीं। दही में मौजूद लैक्टिक एसिड पेट में गैस को बनने से रोकता है।
अच्छी नींद
दहीं का सेवन करने से बच्चे अच्छी नींद ले पाते हैं। दही के साथ बच्चों के शरीर की मसाज करने से भी उन्हें नींद अच्छी आती है और त्वचा भी मुलायम बनती है।
संपूर्ण विकास के लिए जरूरी
दही में विटामिन ए, सी, बी-6, डी, ई और के, राइबोफ्लेविन, फोलेट एवं नियासिन होता है जो शिशु के संपूर्ण विकास में लाभकारी होते हैं। हर रोज दही देने से बच्चे के सिर के बाल काले, घने और शाइनी बनते हैं।
यूरीन इंफेक्शन
बच्चों को यूरीन से संबंधित किसी प्रकार की इंफेकश्न से बचाने के लिए उन्हें दही जरूर खिलाएं। दही के प्रो बायोटिक तत्व बच्चे की किडनी और लिवर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं।
आयुर्वेद की राय
आयुर्वेद के अनुसार हर रोज दही खिलाने से बच्चे को पीलिया और हेपेटाइटिस जैसी समस्याओं से बचाया जा सकता है।
सादा दही
आजकल मार्किट में कई तरह तरह के फ्लेवर्स युक्त दही मिलते हैं, मगर बच्चों को देने के लिए घर का बना ताजा और सादा दही ही खिलाएं। दही में कभी भी नमक डालकर बच्चे को न दें। मीठा दही देने से बच्चे के दांत में कीड़ा लग सकता है।
दही से एलर्जी
जब भी बच्चे को पहली बार दही खिलाएं तो खिलाने के 1-2 दिन तक उसे फिर दही न दें, और न ही कोई अन्य नई चीज का सेवन करवाएं। कई बार कुछ बच्चों को दही से एलर्जी होती है, ऐसे में आपको पता चल जाएगा और आप आगे से बच्चे को दही देने की गलती नहीं करेंगी।