फागुन की आहट होते ही कृष्ण की नगरी को होली का रंग ऐसा चढ़ता है जो कई दिनों तक छूटता नहीं है। अद्भुत…अद्वितीय और अलौकिक नजारा जो यहां दिखता है वह शायद ही कहीं ओर देखने को मिलता हो। ब्रज में राधा-कृष्ण के पावन प्रेम की प्रतीक लठामार होली की बात ही निराली है।
मथुरा जनपद में बरसाना की रंगीली गली में बरसाना की हुरियारिनों ने नन्दगांव के हुरियारों पर जमकर लाठियां बरसाईं। इस अद्भुत होली के दृश्य का आनन्द ले रहे देश-विदेश के हजारों पर्यटक तरह-तरह के रंग बरसाते रहे। इस अवसर पर दुनिया के हर कोने से आए श्रद्धालु कृष्ण और राधा के प्रेम की अप्रतिम होली को देखकर झूम उठे।
गुलाल की आंधी के बीच रंगों की झमाझम बारिश, भीगते तन मन के साथ ढोल नगाड़ों की धुन पर थिरकते हुरियारे और हुरियारिन, लठ बरसातीं नंदगांव की हुरियारिन तो ढाल से बचाव करते बरसाने के हुरियारे। यहां का माहौल कुछ अलग ही हाेता है।
बरसाना मेंं जैसे ही लाठियों से स्नेह के रंग बरसना शुरु होते हैं वैसे ही आस- पास के लोग होली की मस्ती में सराबोर हो जाते हैं। बरसाना की रंगीली गली में ध्वज पताका के आते ही हुरियारिनों की लाठियां हुरियारों पर बरसने लगती है।
लठामार होली के इस रंग को देखने के लिए देश-विदेश से बड़ी संख्या में लोग बरसाना में पहुंच गए हैं। कृष्ण की नगरी में श्रद्धालुओं की भीड़ इतनी है कि पैर रखने तक की जगह नहीं है।
कहा जाता है लट्ठमार होली के लिए हुरियारिनें महीनों पहलेही तैयारियों में जुट जाती है। यह लट्ठमार होली नंदगांव और बरसाना में ही परंपरागत और बड़े ही हर्षोल्लास के साथ खेली जाती है। इस दौरान कोई किसी का बुरा नहीं मानता।