आज होली का पावन त्योहार है। हर कोई एक-दूसरे को रंग लगाकर बधाई देते हुए इस खुशी भरे दिन को मनाते हैं। इससे एक दिन पहले होलिका दहन की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इससे घर में सुख-समृद्धि व खुशहाली का आगमन होता है। बात अगर होलिका की करें तो हर कोई यहीं जानता है कि वह राक्षस कुल के महाराजा हिरण्यकश्यप की बहन व एक राक्षसी थी। साथ ही उसने अपने भतीजे को मारने की कोशिश करने पर खुद की जान गवां ली थी।
मगर असल में, वह राक्षस कुल की होने के बावजूद भी दिल में प्यार लिए हुए थी। ऐसे में हिमाचल प्रदेश की वादियों में आज भी उनके प्यार का किस्सा गूंजता है। तो चलिए जानते हैं इसके पीछे की कहानी...
होलिका के पास था चमत्कारी कपड़ा
होलिका एक राक्षसी थी। उसके पास एक ऐसा वस्त्र था जिससे आग उसे जला नहीं सकती है। ऐसे में हिरण्यकश्यप ने उसे अपने पुत्र प्रहलाद को मारने को कहा। ऐसे में भाई की बात मानकर वह अपने भतीजे को लेकर अग्नि कुंड में बैठ गईं। मगर भगवान की कृपा प्रहलाद पर होने से वह कपड़ा बच्चे पर पड़ गया है। ऐसे में होलिका की मौत हो गई।
वादियों में गूंजती यह प्रेम कहानी
हिमाचल प्रदेश में एक और कहानी प्रचलित है, जो इलोजी- होलिका की प्रेमकथा है। कहते हैं कि वे दोनों एक-दूसरे को प्रेम करते थे। इलोजी हिरण्यकश्प के पड़ोसी राज्य के राजकुमार थे। दोनों का विवाह भी तय हो चुका था। मगर शायद उनके नसीब में साथ रहना नहीं लिखा था। हिरण्यकश्यप अपने पुत्र प्रहलाद की प्रभु भक्ति से परेशान था। ऐसे में उसने होलिका को उसे मारने का आदेश दिया। होलिका अपने भतीजे से प्यार करती थी। ऐसे में उसने अपने भाई को समझाया। मगर इसपर भाई ने होलिका का विवाह ना होने की उसे धमकी दी। ऐसे में उसे मजबूरन यह काम करना पड़ा।
धर्म संकट में फंसी होलिका
ऐसे में भाई के कहने पर होलिका भतीजे व प्रेमी के प्यार में धर्म संकट में फंस गई। फिर उसने भाई का कहना मानना सही समझा। वह तय तिथि को अपना चमत्कारी कपड़ा खुद पर ओढ़ कर प्रहलाद को गोद लिए अग्नि में बैठ गई। मगर भगवान की कृपा से प्रह्लाद बच गया। मगर होलिका जल कर भस्म हो गई। ऐसे में होलिका के इस बलिदान को लेकर कोई नहीं जानता है।
यहां कण-कण में गूंजती होलिका की प्रेम कथा
कहते हैं कि जिस दिन होलिका अपने भतीजे को लेकर अग्नि में बैठी थी। उसी दिन उनकी इलोजी के साथ विवाह होना निश्चित हुआ था। मगर जब इलोजी बारात लेकर महल पहुंचे तो होलिका के बारे में सुनकर हैरान रह गए। वे अपना मानसिक खोकर होलिका की राख पर लेट गए। कहा जाता है कि वे जिंदगी भर होलिका की तलाश में रहे।