हर साल गोवर्धन पूजा दीवाली के अगले दिन मनाई जाती है। लेकिन इस बार सूर्य ग्रहण लगने के कारण गोवर्धन पूजा की तारीख टल गई है। सूर्यग्रहण के कारण गोवर्धन पूजा कल मनाई जाएगी। इस त्योहार को मनाने की पीछे भी एक महत्वपूर्ण पौराणिक कथा है। वैसे सारे पूजा-पाठ मंदिर में चौकी लगाकर की जाती है गोवर्धन पूजा की विधि बहुत ही अलग होती है। तो चलिए आपको बताते हैं कि गोवर्धन पूजा क्यों मनाई जाती है...
गोवर्धन पूजा की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार इंद्र देवता ने अपने घमंड के कारण ब्रज में भारी बरसात की थी। उनकी इतनी भारी बरसात करने के कारण ब्रजवासी परेशान हो गए थे। ब्रजवासियों ने अपनी रक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण से गुहार लगाई थी। इसके बाद श्रीकृष्ण ने कनिका उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाई और सारे गोकुलवासियों की इंद्र से रक्षा की। इसके बाद इंद्र का घमंड टूट गया। इसी के बाद ब्रज समेत कई सारे देशों में गोवर्धन पूजा की जाती है। इसे ही गोवर्धन पूजा कहते हैं।
सालभर बनेगी श्रीकृष्ण की कृपा
ऐसा माना जाता है कि यदि पूरे विधि-विधान से गोवर्धन भगवान की पूजा की जाए तो सारा साल भगवान श्रीकृष्ण की कृपा आप पर बनेगी। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की सच्चे दिल से अराधना करें। गोवर्धन पूजा वाले दिन 56 या 108 तरह के व्यंजन भी श्रीकृ्ष्ण को भोग के रुप में लगाए जाते हैं।
अन्नकूट का लगता है भोग
गोवर्धन पूजा के दिन पूजा के साथ-साथ विभिन्न व्यंजनों का भी श्रीकृष्ण भगवान को लगता है। इस दिन मुख्य तौर पर कड़ी चावल और बाजरा बनाया जाता है। इसे अन्नकूट भी कहते हैं। माना जाता है कि जब श्रीकृष्ण और बाकी वृदांवनवासी गोवर्धन पर्वत के नीचे आ गए थे, तब उन्होंने इस पर्वत के नीचे सात दिन बिताए थे। इन सात दिनों में सभी ने अपने साथ खाद्य सामग्री और अन्न को मिलाकर खाना खिलाया। इन्हीं में से एक अन्नकूट भी था। अन्नकूट का स्वाद इतना अच्छा था कि श्रीकृष्ण इसे खाने के लि ललचाते थे। इसी के बाद अन्नकूट प्रसाद के रुप में गोवर्धन पर्वत को भोग लगाया जाने लगा। श्रीकृष्ण ने स्वंय ही इसे अपने प्रिय प्रसाद के रुप में हर साल गोवर्धन पूजा करके भोग लगाकर अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी थी।