हम में से सब का कोई न कोई सपना होता है जिसे हम बचपन से देखते हैं और पूरा करने की चाहत रखते हैं। लेकिन सपने देखना तो आसान है पर उसे पूरा करने के लिए के बहुत जतन करना पड़ता है, लेकिन केरल की बेटी गोपिका गोविंद ने जो सपना देखा, उसे पूरा भी करके दिखाया। बता दें गोपिका केरल की ऐसी महिला है जो देश की पहली आदिवासी एयर होस्टेस हैं। उन्होंने अपनी इस कामयाबी से सारी लड़कियों के लिए मिसाल बन गई हैं, जो सपने देखती हैं और कुछ कर दिखाने की चाहत रखती हैं।
केरल की पहली आदिवासी एयर होस्टेस हैं गोपिका
गोपिका का जन्म 1998 में अलाकोडे स्थित एसटी कॉलोनी वाकुन कुडी में एक अनुसूचित जनजाति (एसटी) करीमबाला समुदाय में हुआ था। उनके पिता पी गोविंदन और मां विजी है। घर में आर्थिक हालात खराब होने के चलते गोविंद का बचपन गरीबी में ही बीता, लेकिन उनके माता- पिता शिक्षा का महत्व बहुत अच्छी तरह से समझ रहे थे, तो उन्होंने बेटी को पढ़ने के लिए प्रेरित किया, साथ ही उन्होंने बेटी को कामयाब बनने और उसका सपना पूरा करने के लिए उसकी हरसंभव मदद की। गोपिका का छुटपन और फिर स्कूल- कॉलेज लाइफ बहुत कलरफुल नहीं था। जैसा कि ज्यादातर आदिवासी लड़कियों के साथ होता है, लेकिन अपनी मेहनत और लगन से उन्होंने एयर होस्टेस बनने के इस सपने को आखिरकार साकार किया।
12 साल की उम्र में देखा था एयर होस्टेस बनने का ख्वाब
गोपिका ने जब एयर होस्टेस बनने का ख्वाब देखा था, उस समय वो महज 12 साल की थीं। वो बताती हैं कि जब वो छोटी थी तो उनके घर के ऊपर से हवाई जहाज गुजरा और वही देख के गोपिका ने सोच लिया कि वो एक दिन हवाई जहाज से यात्रा जरूर करेंगी। जैसे- जैसे वो बड़ी हुई उन्होंने एयर होस्टेस बनने की जानकारी एकत्रित करनी शुरु कर दी। उन्होंने पता चला की एयर होस्टेस की पढ़ाई का कोर्स बड़ा महंगा है तो उन्होंने लगभग अपने सपने को छोड़ने का मन बना लिया था, लेकिन इसी बीच उन्हें पता चला कि अनुसूचित जाति की लड़कियों के लिए केरल सरकार अनुदान दे रही हैं। इसी की मदद से गोपिका ने आइएटीए कस्टमर सर्विस केयर में डिप्लोमा कोर्स किया।
उसके बाद केरल सरकार की अनुदान की मदद से वायानाड स्थित ड्रीम स्काई एवियेशन ट्रेनिंग अकेडमी में एडमिशन लेकर पढ़ाई की। केरल सरकार ने उन्हें 1 लाख रुपये तक की मदद की। आज गोपिका 12 साल के संघर्ष के बाद एयर होस्टेस बनकर दूसरी लड़कियों के लिए प्रेरणा बन गई है।