जहां देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर थमती हुई नज़र आ रही हैं वहीं अब सरकार ने कोरोना की तीसरी लहर के आने से पहले ही कमर कस ली है। दरअसल, नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने मंगलवार को कहा है कि अगर कोरोना वायरस ने अपना स्वरूप बदला तो बच्चों पर प्रभाव बढ़ सकता है।
देश में इतने प्रतिशत बच्चों को पड़ सकती है अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत-
दो से तीन प्रतिशत बच्चों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ सकती है। डॉ. पॉल देश की नेशनल कोविड टास्क फोर्स के हेड भी हैं। उन्होंने कहा है कि बच्चों में कोरोना के प्रभाव को लेकर सरकार ने लगातार नजर बनाई हुई है।
बच्चों के लिए दवाओं के डोज पर चल रहा है विचार-
डॉ. पाल ने कहा है कि, स्वास्थ्य मंत्रालय बच्चों के लिए दवाओं के डोज पर विचार कर रहा है। इसे लेकर एक एक्सपर्ट ग्रुप बनाया गया है और नए दिशानिर्देश जल्द ही जारी किए जा सकते हैं। उन्होंने चेताया है-कोरोना से रिकवरी के करीब 6 हफ्ते बाद बच्चों में बुखार, शरीर दर्द जैसे कुछ अन्य लक्षण भी सामने आ सकते हैं. इसे मल्टी सिस्टम इन्फ्लेमेशन कहा जाता है।
अगर वायरस ने अपना स्वरूप बदला तो स्थिती गंभीर हो सकती हैं-
डॉ. पाल ने बताया कि बच्चों पर कोविड वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है। कोरोना संक्रमित ज्यादा बच्चे लक्षण विहीन हैं। लेकिन अगर वायरस अपना स्वरूप बदलता है तो स्थितियां अलग हो सकती हैं।
कोविशील्ड के दोनों डोज में गैप पर कोई बदलाव नहीं-
वहीं कोविशील्ड के दोनों डोज में समय के गैप को लेकर उन्होंने बताा कि इसमें कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है। कोविशील्ड के पहले डोज के बाद दूसरा डोज 12 हफ्ते बाद ही दिया जाएगा।