चटपटा व मसालेदार भोजन जीभ का स्वाद तो बढ़ा देता है लेकिन जरूरत से ज्यादा किसी भी चीज का सेवन सेहत के लिए हानिकारक होता है। वहीं, नमक के बिना दा-सब्जी का जायका फीका लगता है। वहीं, कुछ लोग तो सब्जी के ऊपर से नमक डालकर खाते हैं, जोकि बिल्कुल गलत आदत है। ज्यादा नमक का सेवन सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसे में सोडियम क्लोराइड से मिलकर बने नमक की सही मात्रा लेना बहुत जरूरी है।
कम नमक भी देता है नुकसान
एक स्टडी के मुताबिक, कम नमक खाने से कार्डियोवस्कुलर होने की संभावना बढ़ जाती है इसलिए खाने में इसकी संतुलित मात्रा लेना बहुत जरूरी है।
कितनी मात्रा में नमक खाना जरूरी
. एक्सपर्ट के मुताबिक, व्यस्क को पूरे दिन में 2 चम्मच नमक खाना चाहिए। जबकि हाई ब्लड प्रेशर के मरीज को दिनभर में 1/2 चम्मच नमक लेना चाहिए। इसके अलावा स्लाद, रायते या फ्रूट में सेंधा नमक का इस्तेमाल करें।
. एक साल से छोटे बच्चों को पूरे दिन में 1/2 चम्मच से भी कम नमक देना चाहिए जबकि इससे ज्यादा उम्र वाले बच्चों को 1 चम्मच से अधिक नमक न खिलाएं।
. मोटापा कम करना चाहते हैं तो दिन में 1 छोटे चम्मच से ज्यादा नमक ना खाएं।
चलिए अब आपको बताते हैं कि अधिक नमक का सेवन शरीर को कैसे नुकसान पहुंचाता है...
दिल को बना देगा बीमार
नमक का ज्यादा सेवन दिल की बीमारियों को न्यौता देता है। ऐसे में संतुलित मात्रा में इसका सेवन करें।
शरीर में बढ़ा सकता है सूजन
अधिक नमक खाने से शरीर में पानी जरूरत से ज्यादा जमा हो जाता है, जिससे वाटर रिटेंशन या फ्लूड रिटेंशन की समस्या हो सकती है। इसके कारण हाथ-पैर और चेहरे पर सूजन आ जाती है।
बिगड़ न जाए ब्लडप्रेशर
ज्यादा नमक हाई बीपी की समस्या बढ़ाता है। इससे कई बीमारियों का खतरा रहता है इसलिए लिमिट में इसका सेवन करें। साथ ही कभी भी भोजन के ऊपर से नमक डालकर ना खाएं।
डिहाइड्रेशन
इसकी ज्यादा मात्रा शरीर में डिहाइड्रेशन का कारण बन सकती है। दरअसल, नमक प्यास को कम करके भूख बढ़ाता है, जिससे शरीर में पानी की कमी हो सकती है।
किडनी को कर सकता है फेल
सब्जी के ऊपर से बिना पका नमक खाने से दिल व किडनी से जुड़ी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। इससे सर्कुलेटरी सिस्टम व नर्वस सिस्टन को भी नुकसान पहुंचता है।
ऑस्टियोपोरोसिस
नमक का अधिक सेवन यूरीन के जरिए शरीर में से कैल्शियम जैसे जरुरी तत्व जरुरत से ज्यादा बाहर निकाल देता है। इससे शरीर में कैल्शियम की कमी होने लगती है, जिससे कमजोर हड्डियां, आर्थराइटिस, ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा रहता है।