नवरात्रि के पावन दिन चल रहे हैं। आज सांतवें दिन यानी महासप्तमी को मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। कहते हैं मां कालरात्रि का स्वरूप बिल्कुल उनके नाम की तरह ही घने अंधकार सा काला है। कालरात्रि मां के तीन नेत्र हैं, जोकि ब्रह्मांड की तरह गोल हैं। मां के इस रूप की सवारी गधा है। मान्यका है कि इस रूप में मां ने शुंभ और निशुंभ राक्षसों का वध किया था। कहते हैं इस रूप में मां की पूजा अर्चना करने से मां कालरात्रि अपने भक्तों को काल से बचाती है यानी कि कालरात्रि की पूजा करने से जातकों को अकाल मृत्यु का डर नहीं रहता है। आइए जानते हैं मां कालरात्रि की पूजा विधि, प्रिय भोग और मंत्र के बारे में....
ऐसे करें मां कालरात्रि की पूजा
महासप्तमी के दिन सुबह और रात दोनों समय मां कालरात्रि की पूजा करना शुभ माना जाता है। इस रूप में मां की पूजा करने के लिए सुबह स्नान करके लाल कंबल के आसन में बैंठे। मां कालरात्रि की तस्वीर स्थापित करें, वहां गंगाजल का छिड़काव करें, इसके बाद दीपक जलाकर पूरे परिवार के साथ मां के जयकारे लगाएं, दुर्गा चालीसा का पाठ करें, हवन करें और मां कालरात्रि को गुड़ से बनाएं मालपुए का भोग जरूर लगाएं। आप चाहें तो रुद्राक्ष की माला से मां के मंत्र का जाप भी कर सकते हैं।
पूजा के दौरान करें इन मंत्रों का जाप
मां को प्रसन्न करने के लिए पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप करें- 'ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ऊँ कालरात्रि दैव्ये नम:।