21 NOVTHURSDAY2024 10:18:38 PM
Nari

छठ पूजा का दूसरा दिन आज, जानें क्या है खरना पूजन और क्यों है यह महत्वपूर्ण?

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 06 Nov, 2024 10:23 AM
छठ पूजा का दूसरा दिन आज, जानें क्या है खरना पूजन और क्यों है यह महत्वपूर्ण?

नारी डेस्क: चार दिवसीय महापर्व छठ पूजा 2024 का शुभारंभ 5 नवंबर को नहाय-खाय की परंपरा के साथ हुआ। इस दिन व्रति लोग विशेष प्रकार से स्नान कर शुद्धता का पालन करते हुए चावल, लौकी की सब्जी और चने की दाल का सेवन करते हैं। आज यानी 6 नवंबर को छठ पूजा का दूसरा दिन है, जिसे खरना पूजा कहा जाता है। इस दिन व्रति संतान सुख और समृद्धि की प्राप्ति के लिए विशेष रूप से छठी मैया की पूजा करते हैं। आइए जानते हैं कि खरना पूजा क्या है, इसकी महत्ता क्या है, और इसे किस प्रकार से किया जाता है।

खरना पूजा क्या है?

खरना पूजा छठ पूजा का महत्वपूर्ण दिन है, जो नहाय-खाय के बाद आता है। खरना शब्द का अर्थ है शुद्धता और पवित्रता, और यही कारण है कि इस दिन के व्रत में शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है। यह पूजा पवित्रता को बनाए रखने का संकेत देती है, जिससे व्रति मानसिक और शारीरिक रूप से शुद्ध रहते हैं। इस दिन छठी मैया का आह्वान किया जाता है और उनके साथ साथ पूरे पर्व के दौरान शुद्धता बनाए रखने की प्रार्थना की जाती है।

PunjabKesari

खरना पूजा का महत्व

खरना पूजा का महत्व इस बात में छिपा है कि यह दिन छठी मैया के आगमन का प्रतीक है। इस दिन व्रति अपने मन, वचन और क्रिया से सभी अशुद्ध विचारों को त्यागते हुए एकाग्रता के साथ पूजा करते हैं। इस दिन व्रति के लिए 36 घंटे का कठिन निर्जला उपवास शुरू हो जाता है, जो छठ पूजा के चौथे दिन अर्घ्य अर्पित करने के बाद समाप्त होता है। इसके माध्यम से व्रति का मन और आत्मा शुद्ध होते हैं और देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।

ये भी पढ़ें: लोक गायिका Sharda Sinha का अंतिम संस्कार कब और कहां होगा? जानें पूरी डिटेल

खरना पूजा कैसे करते हैं?

खरना पूजा में विशेष रीतियों का पालन किया जाता है। इस दिन व्रति पूरे दिन का निर्जला उपवास रखते हैं और शाम को छठी मैया की पूजा करते हैं। पूजा के दौरान, विशेष सोहारी (रोटी या चपाती), खीर, फल, और मिठाई चढ़ाई जाती हैं। इन खाद्य सामग्रियों को एक खास तरीके से तैयार किया जाता है।

PunjabKesari

खरना पूजा की विधि

1. निर्जला उपवास: खरना के दिन व्रति सुबह से लेकर शाम तक केवल पानी भी नहीं पीते हैं। शाम को पूजा के समय ही उनका उपवास समाप्त होता है।

2. सोहारी और खीर: इस दिन विशेष रूप से साठी के चावल (एक विशेष प्रकार का देसी चावल) से खीर बनाई जाती है। इसे मिट्टी के चूल्हे पर पकाया जाता है, जो केवल खरना पूजा के लिए इस्तेमाल होता है।

3. पूजा का आयोजन: व्रति छठी मैया का आह्वान करते हुए उन्हें सोहारी, खीर, फल, मिठाई, पत्तियां, और सुपारी चढ़ाते हैं। विशेष रूप से केले के पत्ते पर ये भोग चढ़ाए जाते हैं।

4. पवित्रता का पालन: इस दिन पूजा के बाद प्रसाद वितरण किया जाता है। प्रसाद में खीर-सोहारी, फल और मिठाई शामिल होते हैं। प्रसाद ग्रहण करने के समय घर में पूर्ण शांति बनाए रखनी होती है। व्रति को इस दौरान किसी भी तरह की आवाज़ से नहीं विचलित करना चाहिए, क्योंकि मान्यता है कि ऐसा करने से खरना पूजन खंडित हो सकता है।

खरना पूजा के बाद क्या होता है?

खरना पूजा के बाद व्रति 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू कर देते हैं, जो छठ पूजा के चौथे दिन अर्घ्य अर्पित करने के बाद समाप्त होता है। इस उपवास का उद्देश्य आत्मा की शुद्धि, और छठी मैया और सूर्य देवता की कृपा प्राप्त करना होता है। व्रति इस समय अपने परिवार और समाज के लिए सुख, समृद्धि, और समूल परिवर्तन की कामना करते हैं।

PunjabKesari

खरना पूजा छठ पूजा का एक अनिवार्य और महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह न केवल शारीरिक शुद्धता का प्रतीक है, बल्कि आध्यात्मिक शुद्धता की ओर भी संकेत करता है। व्रति इस दिन मन, वचन और क्रिया से पवित्र रहते हुए छठी मैया की उपासना करते हैं, जिससे उनका जीवन आशीर्वाद और सफलता से परिपूर्ण होता है। यह दिन समृद्धि, सुख और संतोष की प्राप्ति के लिए खास माना जाता है, और पूरे परिवार के लिए यह एक महत्वपूर्ण पर्व होता है।
 

 

 

Related News