24 NOVSUNDAY2024 8:02:10 PM
Nari

चोट लगने के बाद बंद नहीं होता खून का बहना तो इस बीमारी का हो सकता है संकेत

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 10 Nov, 2020 04:10 PM
चोट लगने के बाद बंद नहीं होता खून का बहना तो इस बीमारी का हो सकता है संकेत

क्या चोट लगने के बाद आपका खून बहना भी बंद नहीं होता। अगर हां तो यह हीमोफीलिया का संकेत हो सकता है। भारत में करीब 2 लाख लोग इस समस्या से ग्रस्त हैं लेकिन फिर इस इससे अंजान है। हालांकि महिलाओं को इसका खतरा ना के बराबर होता है। आंकड़े के मुताबिक, हर 5,000 पुरुष में से किसी 1 को यह समस्या जरूर होता है। चलिए आपको बताते हैं कि हीमोफीलिया क्या और इसका इलाज कैसे किया जाए...

क्या है हीमोफीलिया?

हीमोफीलिया एक ऐसी आनुवांशिक बीमारी है, जिसके कारण खून के थक्के बनने की क्षमता प्रभावित होती है। दरअसल, चोट लगने पर जब खून बहता है तब रक्त की कोशिकाएं जमा होकर क्लॉट बना लेती हैं, जिससे वो शरीर से बाहर नहीं निकलता। मगर, हीमोफीलिया मरीज को चोट लग जाने पर ब्लड क्लॉट नहीं बनता और खून बहता रहता है।

PunjabKesari

हीमोफीलिया के लक्षण

. लगातार नाक से खून बहना
. बेवजह मसूड़ों और दांतों से खून निकलना
. स्किन आसानी से छिल जाना
. शरीर में अंदरूनी रक्तस्त्राव
. जोड़ों में असहनीय दर्द रहना
. तेज सिर दर्द
. गर्दन में अकड़न
. उल्टी-मतली की शिकायत

PunjabKesari

अचानक ब्लीडिंग होने पर हो सकती है ये परेशानी...

. मल व यूरिन से खून आना
. त्वचा पर गहरे नीले घाव पड़ना
. बिना चोट लगे शरीर पर नील पड़ना
. स्वभाव में चिड़चिड़ाहट महसूस होना

हीमोफीलिया के कारण

शरीर में ब्लड क्लॉटिंग फैक्टर की कमी इसका कारण बन सकती है, जोकि आनुवांशिक है। भारत में हीमोफीलिया के 30% केस जेनेटिक ही होते हैं।

PunjabKesari

मरीजों फॉलो करें ये टिप्स

. हमेशा एक्टिव रहने के लिए ज्यादा से ज्यादा शारीरिक गतिविधियां करें क्योंकि इससे ब्लड सर्कुलेशन बढ़ जाता है।
. खून को गाढ़ा बनाने वाली दवाइयों का सेवन ना करें। इससे आककी समस्या बढ़ सकती है।
. मसूड़ों और दांतों की अच्छे से सफाई करते रहें।
.  साल में कम से कम 2 बार टेंटल चेकअप जरूर करवाएं
. ऐसी गतिविधियों से बचकर रहें, जिससे चोट लगने का खतरा हो।

हीमोफीलिया का इलाज संभव

डॉक्टर ऐसे मरीजों को एक इंजेक्शन लगाते हैं, जो शरीर के उन घटकों को दूर करता है, जो हीमोफीलिया के लिए जिम्मेदार है। इसके अलावा अगर स्थिति ज्यादा गंभीर नहीं है तो डॉक्टर दवाइयां देते हैं।

PunjabKesari

Related News