जब व्यक्ति मन में कुछ करने की ठान लेता है तो सफलता हासिल करने से उसे कोई भी रोक नही सकता है। फिर उम्र चाहे कुछ भी हो बस खुद पर हिम्मत होनी चाहिए। इस बात की मिसाल है पंजाब की रहने वाली एक बुजुर्ग महिला हरभजन कौर। जिनकी उम्र तकरीबन 90 साल के करीब है। इस उम्र में घर में बैठ कर आराम करने की जगह यह दादी अम्मा ने इस उम्र में अपना बिजनेस शुरु करने के बारे में सोचा और एक सफल बिजनेस की शुरुआत की।
खुद बनाती है बर्फी
हरभजन कौर ने तकरीबन 4 साल पहले दूसरों की खाने की थाली में मिठास भरने की शुरुआत करते हुए बेसन की बर्फी बनाने का सफर शुरु किया था। हरभजन की बर्फी की खास बात यह है कि वह इस खुद अपने हाथ से बनाती है और उनकी यह बर्फी चंडीगढ़ की साप्ताहिक ऑर्गेनिक मार्केट में हाथो हाथ बिक जाती है।
पैसे न कमाने का था मलाल
हरभजन कौर की बेटी रवीना सूरी ने जब उनसे उनके जीवन से जुड़ी कोई हसरत पूछी तो उन्होंने कहा कि उन्हें जीवन में मलाल है कि उन्होंने कभी पैसे नहीं कमाए। हरभजन की बात उनकी बेटी को दिल को छू गई। जिसके बाद हरभजन की बेटी ने उनका सपना पूरा करने में मदद की। हरभजन खुद घर में बर्फी बनाती और उनकी बेटी उसे ऑर्गेनिक बाजार में ले जाकर बेचने जाती। धीरे-धीरे लोगों को हरभजन के हाथ की बनी बर्फी पसंद आने लगी और उनका कारोबार चलने लगा।
पिता से सीखीं थी बर्फी
हरभजन कौर का जन्म तरन-तारन के पास हुआ था। शादी के बाद वह अमृतसर, लुधियाना रही और तकरीबन 10 साल पहले पति की मृत्यु के बाद अपनी बेटी के पास चंडीगढ़ आ गई थी। अपनी हाथ की बनी हुई बर्फी बेचने के बाद हरभजन कौर ने अपनी पहली कमाई को अपनी तीनों बेटियों में बराबर में बांट दिया। पहले ऑर्डर के बाद घरवालों को लगा कि शायद उसे अपनी कमाई से तसल्ली कर ली है लेकिन हरभजन कौर ने अपने हुनर को आगे बढ़ाने की इच्छा को काफी मजबूत कर लिया था। पहले ऑर्डर के बाद उन्हें अपने मुहल्ले, आस-पड़ोस, रिश्तेदारों से ऑडर मिलने लगे। जिसके बाद उन्होंने बर्फी के अतिरिक्त भी कई चीजे बनानी शुरु की दी।
नातिन की शादी में खुद बनाई बर्फी
हरभजन कौर ने अपने इस काम में अपने किसी भी परिवार के सदस्य की मदद नहीं लेती है। मेवे काटने से लेकर, धोने-सुखाने तक का सारा काम वह खुद करती है। इतना ही नहीं, अपनी नानी के बढ़ते हुए काम को देखकर हरभजन कौर की नातिन ने अपनी शादी पर नानी के हाथ की बनी बर्फी बांटते का निर्णय लिया था। वहीं उन्होंने अपने पिता के तकरीबन 100 साल पुरानी कुछ रेसिपी अपने शैफ नाती को दी है जिसे उसने अपने रेस्टोरेंट में पंजाब की विरासत के तौर पर संभाल कर रखा है।
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