आज भले ही हम 21वीं सदी में रह रहे हैं, जमाना मॉडर्न हो गया है पर महिलाएं घर से बाहर अकेले निकलना सुरक्षित नहीं है। शाम ढलने के बाद महिलाओं को कहीं जाने से परहेज करने को ही कहा जाता है। इसकी वजह है बाहर घूमते वहशी दरिंदे जो किसी भी अकेली महिला को अपना शिकार बना लेते हैं। भारत में अब जाकर रेप को लेकर कड़े कानून बने हैं, वरना कई बार तो आरोपी बिना किसी कड़ी सजा के ही छूट जाते हैं। आलम ये है कि कई बार रेप पीड़ित महिला न्याय के लिए लड़ते- लड़ते खुद खत्म हो जाती है। आज हम आपको एक ऐसी ही महिला के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका भारते के रेप कानून को कड़ा करने और बेहतर करने में बड़ा हाथ है। इस महिला ने बाल- विवाह जैसी कुप्रथा को रोकने के लिए खुद की इज्जत को भी दांव पर लगा दी थी। हम बात कर रहे भंवरी देवी की।
महिलाओं के हक के लिए खुद की इज्जत गंवानी पड़ी भंवरी देवी को
उत्तर प्रदेश के भतेरी गांव में रहने वाली भंवरी 1980- 1990 के दशक में एक ब्रांड थी जो महिलाओं के खिलाफ लंबे समय से चली आ रही कुप्रथा के खिलाफ आवाज उठा रही थीं। 1992 में जब उन्होंने 9 महीने के नवजात के बाल विवाह को रोकने की कोशिश की तो उसके बाद उसके साथ रेप किया गया। शादी के पांच महीने के बाद दुल्हन के रिश्तेदारों ने बदला लेने के लिए भंवरी देवी का कुछ लोगों के साथ मिलकर रेप किया। सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि कोर्ट ने इस गैंगरेप की घिनौंनी वारदात को मामूली घटना का नाम देते हुए आरोपियों को सिर्फ 9 महीनों की सजा दी।
भंवरी देवी के चलते बना बिशाखा कानून
हालंकि भंवरी देवी न्याय के लिए लड़ती रही और साल 1997 में सुप्रीम कोर्ट ने विशाखा गाइडलाइंस जारी की। इसमें कहा गया कि यौन उत्पीड़न से महिलाओं की सुरक्षा के लिए नियम- कानून बनाए गए। साल 2013 में संसद ने विशाखा जजमेंट की बुनियाद पर ऑफिस में महिलाओं के संरक्षण के लिए कानून बनाया। भंवरी देवी के साथ हुई इस घटना को 33 साल हो गए हैं, लेकिन वो आज भी लोगों की मदद कर रही हैं।
कोक स्टूडियो में अपने गाने के जलवे बिखेर चुकी हैं भंवरी देवी
भंवरी को संगीत से भी खास लगाव है। उन्होंने कोक स्टूडियो में भी अपने आवाज का जादू बिखेरा है। क्षेत्रीय संगीतकार के तौर पर भी वो नाम कमा चुकी हैं।