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शरीर के साथ-साथ मानसिक दृढ़ता भी है जरूरी

  • Edited By Shiwani Singh,
  • Updated: 09 Dec, 2021 06:30 PM
शरीर के साथ-साथ मानसिक दृढ़ता भी है जरूरी

आज के दौर में जहां शारीरिक क्षमता को योग्यता का बेहतर पैमाना माना जाता है, वहीं आपातकालीन स्थितियों में मानसिक सुदृढ़ता ही हमारे काम आती है। कई स्थितियों में देखा भी गया है कि शारीरिक रूप से बलवान दिखने वाले लोग विपरीत परिस्थितियों में मानसिक रूप से विक्षिप्त नजर आते हैं। इसलिए मन को योग्य बनाना भी आज के दौर में जरूरी है...

ऐसे पाएं इमोशनल फिटनैस

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दस मिनट की इमोशनल जॉगिंग करें। दिमाग में सभी तरह के विचार आने दें। हंसें, मैडिटेट करें और रिलैस्ड रहें। कम से कम 15 मिनट लंबी सांसें खींचें और बाहर फैंकें। दिमाग को बीती बातों या भविष्य की चिंताओं में न उलझने दें। संयमित मात्रा में दिवा स्वप्न देखें। अपना आत्मविश्वास परखने के लिए समस्याएं सुलझाने की मानसिक कसरत करें। रोज समीक्षा करें कि आपके पास क्या है और कौन-सी खूबसूरत चीजें हैं। आशावादी बनें और आप क्या कर सकते हैं, इस पर फोकस करें, सकारात्मक परिणामों की उम्मीद करें। अपनी दिनचर्या में कुछ पल अपने लिए भी निकालें, उस दौरान आप अपनी पसंद का कोई काम कर सकते हैं जैसे बागवानी, सामाजिक काम करना। अपना कुछ समय बच्चों के साथ भी बिताएं।

युवाओं में जिम ज्वाइन करने का बड़ा क्रेज है। जिसे देखो वही जिम जा रहा है, कोई तरह-तरह की कसरतें कर रहा है तो कोई दौड़ लगा रहा है। युवा ही क्यों बच्चे और बूढ़े भी अपनी शारीरिक फिटनैस के लिए खूब सक्रिय रहने लगे हैं।

अनुभूतियों से सम्पर्क जरूरी

आप चाहें जितनी एक्सरसाइज करें, सब व्यर्थ है, अगर आप अपनी आंतरिक अनुभूतियों के सम्पर्क में आने से डरते हैं और एंग्जाइटी जैसी विपदाओं से घबरा जाते हैं क्योंकि ये चीजें आपको कमजोर करती हैं। ऐसी ही स्थितियों में आपको भावात्मक योग्यता की जरूरत पड़ती है।

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न दबाएं भावनाएं

हमारा सामाजिक ढांचा हमें अपनी भावनाओं को दबाकर रखना सिखाता है। हमें अपना दर्द और अपनी तकलीफें छिपाकर रखने को कहा जाता है। हमें कोई सवाल भीतर तक हिला डालता है और हम फिर भी उससे दूर रहने की कोशिश करते हैं। जरा सोचिए अपने शरीर में विषाक्त तत्व इकट्ठा होते रहें और आप उनका समय-समय पर निष्कासन न करें तो क्या होगा? जाहिर सी बात है हम बीमार पड़ जाएंगे। मन में दबी कुंठित, बुरी, उदासी भरी या अच्छी और उमंग भरी भावनाओं का भी उत्सर्जन या प्रकाशन न किया जाए तो मन भी स्वस्थ नहीं रहेगा। भावनाओं के वेग और उद्वेग को दबाकर रखना ठीक नहीं है।

करिए इमोशनल वर्कआऊट

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कुछ मनोवैज्ञानिकों के अनुसार बिल्कुल फिट नजर आने वाले एथलीट भी डिप्रैशन व अन्य मानसिक समस्याओं से पीड़ित हो जाते हैं। इमोशनल स्ट्रैंथ के बिना फिजिकल फिटनैस कोई काम की नहीं। इसलिए मानसिक रूप से सुदृढ़ होने के लिए शारीरिक रूप से प्रबलता महत्व रखती है। इसलिए लोगों को अच्छी अनुभूति पाने के लिए वर्क आऊट करते रहना चाहिए।

फिटनैस की परिभाषा

दैनिक जीवन की जरूरतों और नियति के उलटफेर को आसानीपूर्वक निभा पाना। आपातकालीन स्थितियों में यदि अतिरिक्त ऊर्जा की आवश्यकता हो तो आवश्यक ऊर्जा की कमी महसूस न करना ही फिटनैस की उचित परिभाषा है।

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