हिन्दी पंचांग के अनुसार, कृष्णपक्ष की अष्टमी यानि 8 नंवबर को अहोई माता का व्रत रखा जाएगा। महिलाएं ये व्रत संतान प्राप्ति और उनकी लंबी उम्र व खुशहाल जीवन के लिए रखती हैं। करवा चौथ की तरह अहोई अष्टमी में भी निर्जला व्रत रखा जाता है। इसके साथ ही कई नियमों का पालन करना भी जरूरी होता है। हालांकि हेल्थ प्रॉब्लम्स से जूझ रही महिलाओं को कुछ नियमों की छूट दी जाती है। यहां हम आपको बताएंगे कि अहोई अष्टमी के व्रत में महिलाओं को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए...
महिलाएं ध्यान में रखें अहोई अष्टमी व्रत के ये नियम
गणेश भगवान की करें पूजा
व्रत रखने के बाद अहोई माता का व्रत रखने के बाद भगवान गणेश की आराधना करें। इसके बाद माता का पूजन करें। मान्यता है कि इससे कार्य में किसी भी तरह की बाधा नहीं आती और पूजा सफलापूर्ण होती है।
इन चीजों से रखें परहेज
व्रत रखने से एक दिन पहले तामसीक भोजन जैसे मांस, लहसुन, प्याज, मदीरा आदि का सेवन न करें। माना जाता है इस मन में नेगेटिव विचार आते हैं। व्रत से पहले हमेशा सात्विक यानि सादा भोजन करें, ताकि मन, वचन और कर्म में शुद्धता आए।
दिन के समय सोना गलत
व्रत रखने के बाद महिलाओं को दोपहर के समय सोना नहीं चाहिए। मान्यता है कि इससे संतान की आयु में कमी हो सकती है इसलिए सोने की बजाए मंदिर में बैठकर माता का ध्यान करें।
पुराने करवे का ना करें इस्तेमाल
अहोई माता की पूजा में पुराने करवे या करवा चौथ के करवे का इस्तेमाल भी ना करें। इसकी बजाए नए करवे का इस्तेमाल करना अच्छा माना जाता है।
लहसुन तथा प्याज से परहेज
व्रत खोलने के बाद भी सात्विक भोजन लें। इस दौरान भोजन में तेल, लहसुन तथा प्याज का इस्तेमाल करना भी वर्जित माना जाता है।
ना करें कांसे के बर्तन का इस्तेमाल
व्रत में कांसे के बर्तन का इस्तेमाल भी अशुभ माना जाता है। इसकी बजाए आप तांबे, स्टील का यूज कर सकते हैं।
ना पहनें इस रंग के कपड़े
महिलाएं इस दिन काले और नीले रंग का इस्तेमाल भी ना करें। इसकी बजाए लाल, पीले या हल्के रंग के कपड़े पहनें।
खुद को रखें पॉजिटिव
दूसरों के प्रति नकारात्मक विचार अपने मन में न आने दें और किसी का अपमान भी ना करें। जितना हो सके खुद को पॉजिटिव रखने की कोशिश करें।
आखिर में शुभ मुहूर्त पर अहोई माता की पूजा करने के बाद तारों को अर्घ्य देकर व्रत खोल लें। माता आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करेगी।