भारत देश में हर धर्म और हर जाति के लोग रहते हैं। हमारा देश विविधताओं से भरा है। यहां अगर एक तरफ धर्म जाति को लेकर लड़ाई की जाती है वहीं दूसरी ओर जब बात मदद की आती है तो भारतीय लोग धर्म और जात पात की सारी दिवारें तोड़ देते हैं। अलग-अलग धर्म और जाति के लोग होने के कारण यहां बहुत सारे त्योहार मनाए जाते हैं और त्योहारों पर यहां तब खूबसूरत नजारा देखने को मिलता है जब हर वर्ग के लोग एक दूसरे के त्योहार को अपना त्योहार समझ कर मनाते हैं।
हाल ही में अब छठ पजा का त्योहार आने वाला है। बिहार में छठ पर्व के लिए जिस चूल्हे पर छठव्रती प्रसाद बनता हैं, वह मुस्लिम परिवारों का बनाया होता है और यही इस त्योहार की खूबसूरती है। हमारे देश में इस त्योहार की बहुत मान्यता है। खास बात यह है कि इस त्योहार में मुस्लिम समुदाय की भी भागीदारी होती है। दरअसल बिहार और दूसरे बड़े हिस्सों में छठ के दिन चूल्हे बनाए जाते हैं और इसी कार्य को पूरी लग्न से कर रही है 15 साल की मुस्कान। इन दिनों बिहार पटना की राजधानी के बीरचंद पटेल पथ पर चूल्हे तौयार किए जाते हैं और मुस्कान भी अपने माता पिता के साथ मिलकर सुबह 6 बजे चूल्हे बनाने का काम शुरू कर देती है।
सास के काम को आगे बढ़ा रही मुस्कान की मां
यहां आपको यह जानकर हैरानी नहीं होगी कि मुस्कान मुस्लिम होकर छठ पूजा के लिए पूरी लग्न के साथ चूल्हा बना रही है बल्कि इस बात से तो भारत के लोगों की खूबसूरती दिखती है। मुस्कान ने भी अपने काम और आस्था में धर्म को बीच में नहीं आने दिया। मुस्कान की मां रूख्सार की मानें तो उनकी सास भी छठ पूजा के लिए चूल्हा तैयार करती थी लेकिन अब वो बीमार रहती है इसलिए वो ही सास के इस काम को आगे बढ़ा रही हैं।
प्रसाद और पकवान बनाने के लिए होता है चूल्हे का इस्तेमाल
छठ त्योहार में सबसे अहम चीज होती है पवित्रता और मुस्कान का परिवार इस बात का पूरा ध्यान रखता है कि चूल्हा बनाने में पवित्रता बनी रही। वहीं मुस्कान अपने परिवार के साथ सुबह उठ कर नहाने के बाद चूल्हे तैयार करने के काम में लग जाती है। खबरों की मानें तो इस चूल्हे का इस्तेमाल प्रसाद व पकवान बनाने के लिए किया जाता है।
लोगों मे प्रसिद्ध है मुस्कान के परिवार के चूल्हे
हालांकि मुस्कान के परिवार के साथ-साथ बाकी अन्य लोग भी वहां चूल्हा बनाते हैं लेकिन मुस्कान और उसके परिवार के चूल्हे काफी प्रसिद्ध है। मुस्कान के अब्बा इसके लिए खास पुनपुन नदी के किनारे से मिट्टी लाते हैं और फिर परिवार संग काम को शुरू करते हैं। आपको बता दें मुस्कान और उसके परिवार को खास महारथ इसमें हासिल है।
जरूरतमंदो को देते हैं मुफ्त चूल्हा
अगर किसी परिवार के पास चूल्हा खरीदने के पैसे नहीं होते हैं तो मुस्कान का परिवार उन्हें मुफ्त में चूल्हे तैयार करके भी देता हैं ताकि आर्थिक तंगी आस्था में बाधा न बन पाए। इतना ही नहीं बहुत से हिंदू भाई उनके घर एडवांस चूल्हे का ऑर्जर देकर जाते हैं।
एक महीने में बना लेते हैं इतने चूल्हे
मुस्कान के परिवार की मानें तो वह एक महीने में 500 चूल्हे तैयार कर लेते हैं और इसकी कीमत 100 रूपए है। वह जितने भी चूल्हे बनाते हैं उनकी बिक्री भी हो जाती है।
पटना के दूसरे हिस्से से आते हैं खरीदार
मुस्कान के पिता मिशाल की मानें तो इन चूल्हों को खरीदने के लिए न सिर्फ पटना के लोग बल्कि पटना से बाहर के हिस्से के लोग भी आकर खरीदारी करते हैं।
इस काम से मिलता है मुस्कान को सुकून
मुस्कान के परिवार की खास बात यह है कि उन्हें इस काम को करने में सुकून मिलता है। इतना ही नहीं उनके काम की हर तरफ ही तारीफ होती है और उन्हें इस काम को करने के लिए किसी विरोध का भी सामना नहीं करना पड़ा।
पटना की इस खबर ने सब की आंखे खोल दी हैं और हम सब को इस बात को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि धर्म और जात पात से बड़ी चीज है आस्था।