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एेसा शहर जहां नवरात्रि के 9 दिन कुंवारी लड़कियां करती हैं राक्षस की पूजा!

  • Updated: 29 Sep, 2017 03:16 PM
एेसा शहर जहां नवरात्रि के 9 दिन कुंवारी लड़कियां करती हैं राक्षस की पूजा!

नवरात्रि एक एेसा पर्व है, जिसमें 9 दिनाें तक माता के नाै रूपाें की पूजा हाेती है। लाेग माता की असीम कृपा पाने के लिए व्रत भी रखते हैं। यह पर्व पूरे भारत में हर्षोल्लास से मनाया जाता है। एक तरफ जहां माता की पूजा हाेती हैं, वहीं भारत में एक एेसा शहर भी है, जहां नवरात्रि के इन दिनाें में राक्षस की पूजा हाेती है।

'सुआटा' प्रथा
एेसा उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड शहर में हाेता है। यहां कुंवारी लड़कियां 9 दिनाें तक राक्षस की पूजा करती हैं। मान्यता है कि इस पूजा से कुंवारी लड़कियों को आत्मबल मिलता है और वह शारीरिक रूप से भी मजबूत होती हैं। बुंदेलखंड में इस प्रथा को 'सुआटा' कहा जाता है। 

राक्षस ने रखी थी यह शर्त
यह वही राक्षस है, जिसका श्रीकृष्ण ने वध किया था। श्रीमद भागवत कथा में भी नरकासुर राक्षस का उल्लेख है। यह राक्षस कुंवारी लड़कियों का अपहरण करके उन पर तरह-तरह के अत्याचार करता था। तब राक्षस से बचने के लिए यह रास्ता निकाला गया कि कुंवारी लड़कियां उसकी पूजा करेंगी। पूजा से राक्षस खुश हो गया और उसने लड़कियों को छोड़ दिया। लेकिन उसने शर्त रखी थी कि उसकी हमेशा पूजा की जाएगी, नहीं तो वह किसी न किसी रूप में लड़कियों को परेशान करता रहेगा। बस तब से यह प्रथा चली अा रही है। वहीं यह भी माना जाता है कि यह पूजा अगर विवाहित महिलाएं करें ताे अशुभ हाेता है।
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कैसे हाेती है राक्षस की पूजा?
लड़कियां नवरात्र में दीवारों पर राक्षस का चित्र बनाकर शाम के समय पूजा करती हैं। इस चित्र के दोनों ओर सूर्य और चंद्रमा बनाया जाता है। ब्रह्म मुहूर्त में लड़कियां चौक पर रंगोली बनाती हैं। दूूज, तीज, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी और नवमी तक इन चौकों की संख्या में बढ़ोत्तरी होती जाती है। लड़कियां सज-धज कर राक्षस की आरती करती हैं और जल चढ़ाती हैं। इसके बाद उसे टीका करती हैं। इस दौरान बुंदेलखंडी लोकगीत भी गाए जाते हैं। 

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