चैत्र नवमी यानी के नवरात्रि के आखिर दिन को रामनवमी भी कहा जाता है। सनातन धर्म में इस त्योहार की बहुत धूम रहती है। इस दिन को राम जी के जन्मदिन के तौर पर भी मनाया जाता है। मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम का जन्म अयोध्या में चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था। इस साल रामनवमी का पर्व 17 अप्रैल को है। आइए आपको बताते हैं इस पर रामनवमी का शुभ मुहूर्त और इस दिन आपको क्या गलतियां करने से बचना चाहिए।
रामनवमी का शुभ मुहूर्त
द्दक पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि का आरंभ 16 अप्रैल को दोपहर 1 बजकर 23 मिनट से हो रहा है और 17 अप्रैल को दोपहर 3 बजकर 15 मिनट पर इसका समापन होगा। इसलिए उदया तिथि के अनुसार 17 अप्रैल को रामनवमी मनाई जाएगी। इस दिन सुबह 11 बजकर 03 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 36 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त बन रहा है। भगवान श्रीराम का जन्म मध्याहन काल को हुआ था। इसलिए नवमी तिथि पर दोपहर के समय भगवान राम की पूजा का बड़ा महत्व है। चैत्र नवरात्रि के दिन दोपहर 12 बजकर 21 मिनट पर भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था।
रामनवमी पर न करें ये गलतियां
- रामनवमी के अवसर पर पूजा का दीपक बुझना नहीं चाहिए, ऐसा होना अशुभ होने का संकेत है।
- रामनवमी की पूजा ईशान कोण में करना चाहिए, वैसे घर में पूजा घर का स्थान भी ईशान कोण में ही होने चाहिए।
- पूजा के दौरान किसी भी तरह का शोर करने से बचें, ऐसा करने से पूजा का सही फल नहीं मिलता।
- पूजन के समय पंचदेव की स्थापना जरूर करें। सूर्यदेव, श्रीगणेश, दुर्गा, शिव और विष्णु को पंचदेव कहा गया है।
- पूजा के दौरान कोई भी झूठा बर्तन, जूते चप्पल और चमड़े का सामान अपने पास न रखें। ध्यान रखें कि अपके पास कोई भी ऐसी वस्तु न हो जो अनुचित हो।
- पूजा के दौरान खंडित अक्षत या खंडित मूर्ति नहीं होना चाहिए।
- देवताओं की युद्ध करते हुए मूर्तियां या चित्र नहीं होना चाहिए। देवी लक्ष्मी की खड़ी हुई मूद्रा में मूर्ति या तस्वीर नहीं होना चाहिए