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कामदा एकादशी 2025: शुभ योगों के साथ श्रीहरि की पूजा में जरूर पढ़ें ये कथा, व्रत होगा सफल

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 07 Apr, 2025 12:08 PM
कामदा एकादशी 2025: शुभ योगों के साथ श्रीहरि की पूजा में जरूर पढ़ें ये कथा, व्रत होगा सफल

नारी डेस्क: कामदा एकादशी हिंदू नववर्ष की पहली एकादशी होती है, जो खासकर श्रीहरि विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए की जाती है। इस व्रत के साथ कई शुभ योग बन रहे हैं, जो पूजा को और भी फलदायी बनाते हैं। कामदा एकादशी इस साल 8 अप्रैल, 2025 को है। इस दिन पूजा का खास मुहूर्त रहेगा और व्रत के साथ पढ़ी जाने वाली कथा से व्रत को सफल बनाने के कई उपाय बताए गए हैं।

कामदा एकादशी का महत्व

कामदा एकादशी का व्रत धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन विष्णु जी की पूजा करने से सभी पापों का नाश होता है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति को अकूत पुण्य की प्राप्ति होती है और पारिवारिक समस्याएं दूर होती हैं। साथ ही यह व्रत वाजपेय यज्ञ के समान पुण्य प्रदान करता है, जिससे परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है।

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शुभ योग

कामदा एकादशी पर इस बार रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे हैं, जो पूजा के लिए बहुत शुभ माने जाते हैं। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:32 से 5:18 तक रहेगा, जबकि अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:58 से 12:48 तक रहेगा। आप इन दोनों मुहूर्तों में से किसी भी समय भगवान विष्णु की पूजा कर सकते हैं।

व्रत कथा

कामदा एकादशी की व्रत कथा में भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर से इस दिन के महत्व को बताया था। कथा के अनुसार, भोगीपुर राज्य के राजा पुंडरीक के राज्य में ललित और ललिता नामक युवक-युवती रहते थे, जो एक-दूसरे से बहुत प्यार करते थे। ललित एक गायक था और एक दिन जब वह राजा पुंडरीक की सभा में गायन कर रहा था, तो ललिता को देखकर उसका ध्यान भटक गया, जिसके कारण उसके सुर-ताल बिगड़ गए। इससे नाराज होकर राजा ने ललित को राक्षस बनने का श्राप दे दिया।

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श्राप के बाद ललित का शरीर आठ योजन में फैल गया और उसका जीवन कष्टमय हो गया। ललिता भी दुखी हो गई और एक दिन वह विंध्याचल पर्वत पर स्थित श्रृंगी ऋषि के आश्रम में पहुंची। ऋषि ने उसे कामदा एकादशी का व्रत करने का उपाय बताया। ऋषि ने कहा कि इस व्रत को रखने के बाद ललिता को जो पुण्य प्राप्त होगा, वह ललित को दान कर दे, जिससे वह राक्षस योनि से मुक्ति पा सकेगा।

ललिता ने व्रत किया और विधिपूर्वक भगवान विष्णु की पूजा की। व्रत का पारण करने के बाद प्राप्त पुण्य ललित को दान किया। श्रीविष्णु की कृपा से ललित राक्षस योनि से मुक्त हो गया और वह फिर से मानव रूप में लौट आया। अंत में, ललित और ललिता दोनों प्रेमपूर्वक जीवन जीने लगे और मृत्यु के बाद उन्हें स्वर्गलोक की प्राप्ति हुई।

कामदा एकादशी के व्रत का लाभ

कामदा एकादशी का व्रत न केवल पापों के नाश के लिए है, बल्कि यह पुण्य की प्राप्ति और जीवन के हर क्षेत्र में समृद्धि लाने वाला भी है। इसके अलावा, परिवार में सुख-शांति और प्रेम बढ़ता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा से दुआओं का असर जल्द ही देखने को मिलता है।

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इसलिए, अगर आप भी इस एकादशी का व्रत रखना चाहते हैं, तो इसे सही मुहूर्त में करें और भगवान विष्णु की पूजा में श्रद्धा और विश्वास से संलग्न रहें। इस दिन की पूजा से आपकी सभी इच्छाएं पूरी हो सकती हैं।
 
 

 
 

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