12 APRSATURDAY2025 12:39:29 AM
Nari

राम नवमी 2025: सिद्धिदात्री और राम जी के संग एक ही दिन मनाई जाएगी दो पर्वों की महिमा!

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 05 Apr, 2025 02:46 PM
राम नवमी 2025: सिद्धिदात्री और राम जी के संग एक ही दिन मनाई जाएगी दो पर्वों की महिमा!

नारी डेस्क: चैत्र नवरात्रि की महानवमी और राम नवमी इस वर्ष एक ही दिन मनाई जा रही हैं। यह एक खास अवसर है, क्योंकि इस दिन का विशेष संबंध राम जी और मां सिद्धिदात्री से है। आइए जानते हैं कि इस दिन की महिमा क्या है और क्यों राम नवमी और मां सिद्धिदात्री का पर्व एक ही दिन मनाना जाता है।

राम नवमी और मां सिद्धिदात्री का संबंध

राम नवमी और मां सिद्धिदात्री का पर्व एक ही दिन मनाए जाने का एक गहरा संबंध है। राम नवमी वह दिन है, जब भगवान राम का जन्म हुआ था। वहीं, मां सिद्धिदात्री की पूजा भी इसी दिन की जाती है। सिद्धिदात्री देवी का यह स्वरूप नवरात्रि के नौवें दिन पूजा जाता है, जो शक्ति और सिद्धि का प्रतीक है।

मां सिद्धिदात्री का नाम खुद में बहुत विशेष है। कहा जाता है कि यही शक्ति देवी सिद्धि (संपत्ति, ज्ञान, और समृद्धि) और मोक्ष प्रदान करने वाली हैं। सिद्धिदात्री के नौ रूप हैं, जो नवदुर्गा के रूप में प्रसिद्ध हैं, और उनकी पूजा से जीवन में सभी प्रकार की समृद्धि और आशीर्वाद मिलते हैं।

राम नवमी और नवरात्रि का संबंध

राम नवमी का दिन न केवल श्रीराम के जन्म के रूप में महत्व रखता है, बल्कि यह मां दुर्गा के साथ गहरा संबंध रखता है। माना जाता है कि राम जी ने मां दुर्गा की पूजा करके रावण पर विजय प्राप्त की थी। इस दिन की पूजा में मां दुर्गा के सिद्धिदात्री रूप की उपासना की जाती है, जो न केवल शक्ति का प्रतीक हैं, बल्कि वे राम जी को उनकी महाकवच (शक्ति) भी प्रदान करती हैं।

चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि पर श्रीराम ने जन्म लिया था, और साथ ही इसी दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा भी होती है, इसलिए दोनों ही पर्व एक ही दिन मनाए जाते हैं।

राम नवमी और मां सिद्धिदात्री की पूजा का महत्व

मां सिद्धिदात्री की पूजा

मां सिद्धिदात्री की पूजा से व्यक्ति के सारे कष्टों और शत्रुओं का नाश होता है। उनके दर्शन और पूजा करने से जीवन में सिद्धि (सफलता) और शांति का वास होता है। पूजा विधि इस प्रकार है

स्थान: सबसे पहले किसी शुद्ध स्थान पर बैठें।

दीपक जलाएं: उनके सामने दीपक रखें और नौ कमल के फूल अर्पित करें।

मंत्र जाप: “ॐ ह्रीं दुर्गाय नमः” का जाप करें।

कमल फूल: अर्पित किए गए कमल के फूल को लाल वस्त्र में लपेटकर रखें।

राम नवमी की पूजा

राम नवमी पर भगवान राम की पूजा का भी विशेष महत्व है। इस दिन भगवान राम की पूजा दोपहर 12 बजे से 1 बजे के बीच करनी चाहिए। पूजा में निम्नलिखित विधि का पालन करें

फल और फूल: उन्हें पीले फल, पीले फूल और पंचामृत अर्पित करें।

तुलसी दल: भगवान राम को तुलसी के पत्ते अर्पित करें।

रामचरितमानस का पाठ: श्रीराम के रामचरितमानस का पाठ करें या राम नाम का जाप करें।

संतान प्राप्ति: यदि किसी महिला को संतान सुख में कोई समस्या आ रही है, तो उन्हें भगवान राम के बालस्वरूप की पूजा करनी चाहिए।

हवन और आरती भी इस दिन की पूजा का हिस्सा होना चाहिए।
 
राम नवमी और मां सिद्धिदात्री की पूजा दोनों का एक गहरा आध्यात्मिक और ऐतिहासिक संबंध है। इस दिन श्रीराम ने मां दुर्गा की उपासना की थी और विजय प्राप्त की थी, वहीं मां सिद्धिदात्री के आशीर्वाद से सभी कष्ट समाप्त होते हैं। इस विशेष दिन पर पूजा से जीवन में शक्ति, सिद्धि, और समृद्धि का वास होता है।

इसलिए, जब हम राम नवमी और मां सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं, तो हम न केवल भगवान राम के आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, बल्कि मां दुर्गा की शक्ति से भी समृद्ध होते हैं।
 
 

 

Related News