सनातन धर्म में देवी- देवताओं के अलावा पेड़- पौधों की भी पूजा की जाती है। इससे जुड़ी कई सारी धार्मिक मान्यताएं भी हैं। वहीं पीपल के पेड़ का भी हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। इस पेड़ को बहुत ही पवित्र माना जाता है। कहा जाता है कि पीपल के पेड़ की पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती है। पीपल के पेड़ को भगवान विष्णु का भी स्वरूप माना जाता है, जो लोग पीपल की पूजा और सेवा करते हैं उनको सारे पापों से मुक्ति मिल जाती है। हालांकि रविवार के दिन पीपल के पेड़ पूजा करना अशुभा माना जाता है। कहते हैं इससे आर्थिक संकट आ जाता है और कई सारी मुश्किलों का भी सामना करना पड़ता है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा था। आइए हम आपको बताते हैं इसके बारे में...
पीपल के पेड़ से जुड़ी पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी और उनकी बहन दरिद्रा दोनों को ही पीपल के वृक्ष में वास करने के लिए स्थान दिया। दरिद्रा को अलक्ष्मी भी कहा जाता है और वो मां लक्ष्मी की बड़ी है। ऐसे दोनों बहनें पीपल के पेड़ में रहने लगीं। एक बार जब भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी के सामने शादी के प्रस्ताव रखा तो उन्होंने पहले अपनी बड़ी बहन के विवाह का आग्रह किया।
अलक्ष्मी की इच्छा थी कि उनकी शादी किसी ऐसे इंसान से हो जो पूजा- पाठ न करता हो। अलक्ष्मी की इच्छा के अनुसार ही भगवान ने उनकी शादी एक ऐसे ऋषि से करा दी। शादी के बाद भगवान विष्णु ने अलक्ष्मी और उनके पति को रविवार के दिन ही पीपल के पेड़ पर निवास करने का स्थान दे दिया। तभी से ऐसा माना जाने लगा है कि रविवार के दिन पीपल के पेड़ पर अलक्ष्मी यानी की दरिद्रता का वास होता है। इस दिन अगर आप पीपल के पेड़ की पूजा करो तो अलक्ष्मी प्रसन्न हो जाती है और आपके घर चली आती है, जिससे घर में गरीबी और दरिद्रता आती है। इसलिए रविवार के दिन पीपल के पेड़ की पूजा नहीं करनी चाहिए।