नारी डेस्क: 14 मार्च को मनाई जाएगी होली, और हर कोई इस रंगों के त्योहार का आनंद लेने के लिए तैयार है। होली साल में एक बार मनाई जाती है और यह खुशी, मस्ती और रंगों का प्रतीक है। हालांकि, यह हर किसी के लिए पूरी तरह से सुरक्षित नहीं होता। खासकर कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन्हें रंगों से बचना चाहिए क्योंकि ये उनके स्वास्थ्य पर नेगेटिव असर डाल सकते हैं। यहां हम उन लोगों के बारे में बताएंगे जिन्हें होली के रंगों से दूर रहना चाहिए, और इसके पीछे क्या कारण हैं, वह भी समझेंगे।
त्वचा की एलर्जी वाले लोग
होली के रंगों में जो केमिकल होते हैं, वे त्वचा के लिए बहुत हानिकारक हो सकते हैं। जिन लोगों को त्वचा पर जलन, रैशेज या एलर्जी की समस्या है, उन्हें इन रंगों से बचना चाहिए। केमिकल वाले रंगों के कारण त्वचा में खुजली, सूजन और जलन हो सकती है। ऐसे में, इन रंगों से बचने का सबसे अच्छा तरीका है नेचुरल रंगों का उपयोग करना या फिर होली के रंगों से पूरी तरह बचना।

सांस की बीमारी वाले लोग
जिन्हें दमा (अस्थमा), ब्रोंकाइटिस या सांस लेने में अन्य कठिनाइयां हैं, उन्हें होली के रंगों से दूर रहना चाहिए। रंगों और गुलाल का महीन पाउडर हवा में उड़कर सांस के रास्ते में चला जाता है, जिससे यह फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है। खासकर अस्थमा जैसी समस्या वाले लोगों को गुलाल से बचने की सलाह दी जाती है, क्योंकि यह सांस में दिक्कत पैदा कर सकता है।
आंखों की समस्याओं वाले लोग
जिन्हें आंखों से संबंधित समस्याएं हैं, जैसे आंखों में जलन, सूजन या संवेदनशीलता, उन्हें होली खेलते समय बेहद सावधानी बरतनी चाहिए। केमिकल वाले रंग अगर आंखों में चले जाएं तो यह जलन और सूजन का कारण बन सकते हैं, और कभी-कभी संक्रमण भी हो सकता है। आंखों को बचाने के लिए, चश्मा पहनना या रंगों से दूर रहना एक बेहतर विकल्प हो सकता है।

गर्भवती महिलाएं
गर्भवती महिलाओं को होली के रंगों से बचना चाहिए क्योंकि केमिकल रंगों में मौजूद हानिकारक पदार्थ मां और बच्चे की सेहत पर बुरा असर डाल सकते हैं। इसके अलावा, होली के दौरान शोर-शराबा और भीड़भाड़ गर्भवती महिलाओं के लिए तनावपूर्ण हो सकता है। ऐसे में प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल करना और भीड़ से दूर रहना उनके लिए सबसे सुरक्षित विकल्प हो सकता है।

मौसमी बीमारियों से ग्रस्त लोग
अगर किसी को सर्दी, खांसी, बुखार या अन्य मौसमी बीमारियां हैं, तो उन्हें रंगों के संपर्क में आने से बचना चाहिए। क्योंकि रंगों में मौजूद रसायन उनकी प्रतिरोधक क्षमता को और कमजोर कर सकते हैं, जिससे उनकी स्थिति बिगड़ सकती है। ऐसे लोगों को अपनी सेहत की प्राथमिकता देनी चाहिए और होली के दौरान आराम करना चाहिए।
होली के दौरान स्वास्थ्य के लिए सावधानियाँ
प्राकृतिक रंगों का उपयोग करें: होली खेलते समय प्राकृतिक और हर्बल रंगों का इस्तेमाल करना सबसे अच्छा होता है। यह आपकी त्वचा और शरीर के लिए सुरक्षित होते हैं, और इनमें हानिकारक रसायन नहीं होते।
तेल लगाना न भूलें: होली खेलते वक्त अपनी त्वचा और बालों पर नारियल या सरसों का तेल लगाना चाहिए। इससे रंग आसानी से उतरेगा और त्वचा को नुकसान नहीं होगा।
आंखों, मुंह और कानों का ध्यान रखें: रंगों से अपनी आंखों, मुंह और कानों को बचाने के लिए सावधानी बरतें। आप चश्मा पहन सकते हैं और कानों में सूती की बत्तियां लगा सकते हैं। इससे रंगों का संपर्क इन हिस्सों से नहीं होगा।

भीड़-भाड़ से बचें: होली के दौरान होने वाली भीड़-भाड़ से बचने की कोशिश करें। यह न केवल तनावपूर्ण हो सकता है, बल्कि आपके स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
सेहत का विशेष ध्यान रखें: होली के दौरान अपनी सेहत का खास ध्यान रखें और खुद को सेहतमंद रखने के लिए जरूरत के मुताबिक आराम करें।
होली रंगों, खुशियों और मस्ती का त्योहार है, लेकिन अपनी सेहत को ध्यान में रखते हुए इसे सुरक्षित तरीके से मनाना बेहद जरूरी है। अगर आप इन सावधानियों का पालन करते हैं, तो आप होली के इस पर्व को बिना किसी चिंता के आनंद ले सकते हैं।