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कैसे हुईं मांग में सिंदूर भरने की शुरुआत? धार्मिक के साथ जानिए वैज्ञानिक महत्व

  • Edited By Sunita Rajput,
  • Updated: 31 May, 2020 11:20 AM
कैसे हुईं मांग में सिंदूर भरने की शुरुआत? धार्मिक के साथ जानिए वैज्ञानिक महत्व

हिंदू धर्म में शादीशुदा महिलाओं के लिए मांग में सिंदूर लगाना सुहाग का प्रतीक माना जाता है जिसके बिना शादीशुदा महिलाओं का 16 श्रृंगार अधूरा माना जाता है। एक चुटकी सिंदूर की कीमत... तुम क्या जानो दुनिया वालों, यह डायलॉग बिल्कुल सही बैठता हैं क्योंकि मांग में सिंदूर लगाने के धार्मिक महत्व के साथ वैज्ञानिक महत्व भी हैं। तो आइए जानते हैं सिंदूर लगाने के फायदे...मगर इससे पहले जान लेते है कि आखिर कब और कैसे शुरू हुई थी सिंदूर लगाने की प्रथा...

कहां से शुरू हुई सिंदूर लगाने की प्रथा?

मान्यता है कि भगवान ने वीरा और धीरा नाम के दो युवक और युवती को बनाया और उनको खूबसूरती भी सबसे अधिक दी। इनमे से एक पुरुष वीरा काफी बहादुर और वीर था जबकि स्त्री धीरा में दिखने में सुंदर और बहादुर भी थी। दोनों का आपस में विवाह हुआ। एक दिन दोनों साथ में शिकार पर निकले लेकिन पूरा दिन उन्हें कुछ नहीं मिला। हारकर दोनों को कंद मूल खा कर ही गुजारा करना पड़ा और दोनों पहाड़ पर ही सो गए। प्यास लगने पर वीरा पास के जलाशय से पानी लेने गया और धीरा वहीं बैठ कर उसका इंतजार करने लगी। उसी वक्त रास्ते पर वीरा पर कालिया नाम के शख्स ने हमला कर दिया जिसके बाद वीरा घायल होकर जमीन पर गिर पड़ा। वीरा को घायल कर कालिया काफी खुश हुआ जिसकी हंसी की आवाज धीरा तक पहुंचीं और पति की ऐसी हालात देख उसने चुपके से कालिया पर हमला बोल दिया। इतने में वीरा को भी होश आ गया। बस फिर क्या था पत्नी की इस वीरता को देख वीरा ने धीरा की मांग अपने खून से भर दी। बस इसी समय से मांग में सिंदूर भरने की प्रथा शुरू हो गई। इसलिए इसी प्रथा को पूरा करते हुए आज भी महिलाएं पति की लंबी उम्र और रक्षा के लिए मांग में सिंदूर लगाती है। 

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बात अगर मांग में सिंदूर लगाने के धार्मिक महत्व की करें तो...

- हिंदुओं का मानना है कि सिंदूर लगाने से देवी पार्वती ‘अखंड सौभागयवती' होने का आशीर्वाद देती हैं। कहते है महिलाएं पति की लंबी उम्र की कामना के लिए मांग में सिंदूर भरती हैं। 

- दूसरा हिंदू समाज में सती या पार्वती को आदर्श पत्नी के रूप में माना जाता है और लाल रंग को इनका प्रतीक माना जाता है, इसलिए महिलाएं सिंदूर लगाती है। 

- सिंदूर में मर्करी यानी पारा होता है जो अकेली ऐसी धातु है जो लिक्विड रूप में पाई जाती है। पारा बुरे प्रभावों से भी बचाता है, इसलिए सिंदूर लगाना महत्वपूर्ण माना जाता है। 

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- मान्यताओं के अनुसार, मांग में सिंदूर लगाने से पती-पत्नी के बीच हमेशा मजूबत संबंध बना रहता है।

अगर वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो सिंदूर लगाने के कई स्वास्थ्य फायदे है जैसे...

- सिंदूर में मौजूद पारा धातु मस्तिष्क के लिए बहुत ही फायदेमंद होता हैं। यह पारा मस्तिष्क को ठंडा रख तनावमुक्त रखता है। इसलिए महिलाओं को विवाह होने के बाद सिंदूर जरूर लगाना चाहिए।

- सिंदूर में पारा जैसी धातु अधिक होने के कारण चेहरे पर जल्दी झुर्रियां नहीं पड़ती। इससे महिलाओं की बढ़ती उम्र के संकेत नजर नहीं आते हैं।

- इतना ही नहीं, माथे पर सिंदूर लगाने से रक्तचाप नियंत्रित रहता है।

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- सिंदूर शादी के बाद लगाया जाता है क्योंकि ये रक्त संचार के साथ ही यौन क्षमताओं को भी बढ़ाने का भी काम करता है।

- स्त्रियां स्वभाव से भी बहुत जल्दी दूसरों की बातों में आ जाने वाली होती हैं। ऐसे में माथे के इस भाग में सिंदूर लगाने से स्त्रियों का मन संतुलित रहता है। 

- तनाव के कारण सिरदर्द, अनिद्रा की शिकायत भी सिंदूर लगाने से दूर हो जाती हैं।

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