कोरोना संक्रमण को खत्म करने के लिए जहां दुनियाभर के वैज्ञानिक वैक्सीन बनाने में लगे हुए हैं वहीं, इससे निपटने के लिए आए दिन नई दवा या थेरेपी पर भी खोज की जा रही है। इसी बीच अहमदाबाद की फार्मा कंपनी जायडस कैडिला की ओर से अच्छी खबर सामने आई है।
बायोलॉजिकल थेरेपी का दूसरा ट्रायल सफल
दरअसल, कंपनी कोरोना संक्रमण से लड़ने के लिए बायोलॉजिकल थेरेपी पर शोध कर रही थी, जिसपर उन्हें बड़ी सफलता हासिल हुई है। कोरोना मरीजों के इलाज के लिए बायोलॉजिकल थेरेपी 'पेगाइलेटेड इंटरफेरॉन अल्फा -2 बी' (पेगीहैप) का दूसरा क्लिनिकल ट्रायल पूरा हो गया है।
वैक्सीन का तीसरा ट्रायल सफल
जायडस कैडिला ने जायकोव-डी (Zycov-D) नाम की एक वैक्सीन बनाई है, जिसका अब तीसरा ट्रॉयल किया जाएगा। कोरोना मरीजों के इलाज के लिए विकसित की जा रही इस थेरेपी का दूसरा परीक्षण भी सफल रहा, जिसके बाद कंपनी अब भारत में इसके तीसरा ट्रायल शुरू किया जाएगा।
संक्रमण को कम करने में मददगार थेरेपी
उनका कहना है कि गीलेटेड इंटरफेरॉन अल्फा-2बी ने कोरोना मरीजों में संक्रमण को कम किया है, जो काफी अच्छी बात है। यही नहीं, ट्रायल में सामने आया कि थेरेपी से मरीजों में ऑक्सीजन की कमी भी दूर हो गई। कंपनी ने कहा कि हम कोरोना की सुरक्षित और प्रभावशाली विकल्प पर ध्यान दे रहे हैं क्योंकि इसने मरीज पर अच्छा असर दिखाया इसलिए हम इसे लेकर आशान्वित हैं।
हेपेटाइटिस C के लिए होती है इस्तेमाल
बता दें कि 2001 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनुमोदित की गई यह वैक्सीन WHO की आवश्यक दवाओं की लिस्ट में भी शामिल है। इसे 2011 में हेपेटाइटिस C के इलाज के लिए विकसित किया गया था, जिससे हजारों रोगियों को फायदा मिला। बता दें कि मैक्सिको भी यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (USFDA) के साथ मिलकर इसी तरह के ट्रायल कर रही है।