रवींद्रनाथ टैगोर को किसी परिचय की जरूरत नहीं है। वो अपने जमाने की बहुत बड़े कवि और कहानीकार थे। हम सब ने स्कूल में कभी-कभी ना कभी तो गीताजंली, काबुलीवाला, गोरा, पोस्ट ऑफिस जैसी कहानियां तो पढ़ी ही होंगी। उनमें से कईयों पर फिल्म भी बनी जैसे चोखेर बाली। उनकी कहानियां आज उनके जाने के बाद अमर है और किताबें पढ़ने के शौकीनों के लिए रवींद्रनाथ टैगोर की कहानियां एक सुकून है। लेकिन क्या आपको पता है की एक महान कहानीकार और कवि होने के साथ-साथ वो एक बेहतरीन चित्रकार भी थें।
लेकिन इतने सफल होने के बाद भी उन्हें कुछ और करने की उत्सुक्ता थी। 67 साल की उम्र में जाकर उन्होंने चित्रकला की तरफ रुख किया...
7 मई 1861 को कोलकता के जोड़ासांकू स्थित टैगोर भवन में इनका जन्म हुआ था। लेखक ने कभी भी चित्रकारी करने के लिए कोई ट्रनिंग नहीं ली थी। लेकिन आखिरकार इतनी बेहतरीन कहानियां लिखने के बाद उन्होंने उस समय चित्रकारी की और रुझान दिखाया जब उनके भतीजे और बंगाल शैली के जनक अवनीद्रं नाथ टैगोर पूरी तरह से चित्रकला में सक्रिय थे।वो कहीं न कहीं अपने भतीजे से प्रेरित जरूर थे, लेकिन उनकी कला अपने आप में सब से अलग थी, उसमें किसी और का प्रभाव नहीं दिखाई देता था।
चित्रकारी करते हुए शुरू में उन्होंने जीव- जंतुओं और काल्पनिक पक्षियों के चित्र तैयार किए जो की काफी सराहनीय थे। वे कपड़े के टुकड़े और अंगुलियों को स्याही में डुबो कर बिना ब्रश की मदद के राक्षसी आकृतियों, भूत- प्रेतों के काल्पनिक चित्र तैयार करते थे।
रवींद्रनाथ ने लगभग 20,000 चित्र बनाए। उन्होंने ही अंडाकार मानव शीश की भी रचना की। रवींद्रनाथ टैगोर ने अपने चित्रों की प्रथम प्रदर्शनी 1930 में पेरिस में लगाई थी। वहीं भारत के कोलकता में जब इनकी खूबसूरत paintings की प्रदर्शनी लगी जो लोगों को ये कुछ खास समझ नहीं आई और उन्होंने इसकी जमकर आलोचना की। कईयों ने तो इस paintings को समझ के परे बताया, लेकिन रवींद्रनाथ को इन आलोचनाओं से कई फर्क नहीं पड़ा। वहीं लेखक अपनी paintings में हर तरह के रंगों का इस्तेमाल करते थे और चित्रों का मुख्य विषय भारतीय नारी ही होती थी।
रवींद्रनाथ टैगोर के कुछ प्रमुख चित्र
मशीन मैन, चिड़िया, पक्षी, कूदता हुआ हिरण, द्दश्य चित्र, थके हुए यात्री, सफेद धागे (आत्मा चित्र) आदि जैसी सिंपल लेकिन खूबसूरत चित्रों से उन्होंने चित्रकारी की दुनिया में क्रंति ला दी। उनके चित्रों को लोग आज भी देखना पसंद करते हैं।