हिंदू धर्म में धन की देवी लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। माना जाता है कि देवी मां के कुल आठ रुप है। इनमें से गजलक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा व व्रत रखने से राजयोग मिलता है। समाज में मान-सम्मान बढ़ने के साथ निसंतान को संतान प्राप्ति होती है। साथ ही गज यानी हाथी की सवारी करने वाली यह देवी सुख-समृद्धि व धन देने वाली मानी जाती है।
देवी लक्ष्मी का स्वरूप मां गजलक्ष्मी
गजलक्ष्मी धन की देवी लक्ष्मी का स्वरूप है। चार भुजाधारी माता गज यानी हाथी पर आठ कमल की पत्तियों के समान आकार वाले सिंहासन पर विराजमान होती है। देवी मां के दोनों ओर हाथी खड़े होने के साथ चारों हाथों में कमल का फूल, बेल, शंख व अमृत कलश पकड़ा होता है। मान्यता है कि देवी मां की पूजा करने से धन व निसंतान को संतान की प्राप्ति होती है। देवी मां को राजलक्ष्मी के नाम से भी पूजा जाता है, क्योंकि इनकी पूजा व अर्चना से राजाओं को राजयोग मिलता है। पितृपक्ष में अष्टमी को गजलक्ष्मी की पूजा करने से का विशेष महत्व है।
पूजा व व्रत रखने का महत्व
इससे जीवन व धन से जुड़ी समस्या दूर होने में मदद मिलती है। निसंतान को संतान सुख मिलने के साथ राजयोग मिलता है। गर में सुख-समृद्धि व शांति का वास होता है। पैसों व कारोबार से जुड़ी समस्याएं दूर होती है।
ऐसे करें गज लक्ष्मी व्रत पूजा
- सबसे पहले पूजा स्थल पर हल्दी से कमल बनाएं।
- फिर उसपर देवी लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें।
- दक्षिणावर्ती शंख में गंगाजल और दूध डालकर देवी मां की मूर्ति का अभिषेक करें।
- मूर्ति के आगे श्रीयंत्र, सोने-चांदी, सिक्के रखें।
- फिर देवी मां को फल और ताजे फूल अर्पित करें।
- अब देवी लक्ष्मी के आठों रूपों को कुमकुम, चावल, फूल चढ़ाएं। साथ ही मंत्रों का उच्चारण करते हुए पूजा करें।
- व्रत में देवी लक्ष्मी की हाथी पर बैठी हुई मूर्ति को साफ लाल कपड़े पर रखें। फिर विधि विधान से मूर्ति स्थापित करें।
- पूजा करने के बाद थोड़ी देर माता का ध्यान करें।