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आपकी यहीं गलतियां बनती हैं सर्वाइकल कैंसर का कारण, रहें Alert!

  • Edited By Priya dhir,
  • Updated: 28 May, 2019 07:34 PM
आपकी यहीं गलतियां बनती हैं सर्वाइकल कैंसर का कारण, रहें Alert!

माहवारी यानि पीरियड्स से जुड़ी झिझक और महिलाओं में जागरुकता लाने के लिए साल 2013 से देशभर में कई अभियान चलाए जा रहे हैं जिनका असर भी दिख रहा है। लेकिन इसके बावजूद अभी भी कुछ चुनौतियां बाकी हैं। अभी भी 62 प्रतिशत औरतें मानती हैं कि माहवारी अगर पुरुषों को होता तो यह विषय समाज में वर्जित नहीं होता। भारत के बड़े नगरों जैसे दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और हैदराबाद में एवरटीन मेंस्ट्रुएशन हाईजीन सर्वे 2019 किया गया इस सर्वे में 25 से 35 वर्ष की 2400 कामकाजी महिलाओं से बातचीत की गई, जिसके नतीजे बेहद रोचक साबित हुए हैं। 

70 प्रतिशत महिलाएं पीरियड्स को मानती हैं शर्मनाक

71 प्रतिशत टीनएजर्स इस नैचुरल प्रोसेस से तब तक अनजान थीं जब तक उन्हें पहली बार पीरियड्स नहीं आए,  वहीं 70 प्रतिशत महिलाएं इस प्राकृतिक क्रिया को गंदा मानती हैं अर्थात शर्मनाक मानती हैं। वहीं अन्य रिपोर्ट के अनुसार, 57.6 प्रतिशत भारतीय महिला सैनिटरी पैड का उपयोग करती है जबकि 62 प्रतिशत अभी भी कपड़ा, राख, घास, जूट व अन्य सामग्रियों पर ही निर्भर हैं। 24 प्रतिशत किशोरियों अपने पीरियड्स के दिनों में स्कूल में अनुपस्थिति दर्ज करवाती हैं। 

व्हाइट डिस्चार्ज को लेकर जानकारी का अभाव 

महिलाओं को व्हाइट डिस्चार्ज (सफेद स्राव) के बारे में जानकारी का अभाव है।46.6 प्रतिशत महिलाओं को व्हाइट डिस्चार्ज की समस्या है तो वहीं 63.4 प्रतिशत महिलाओं को व्हाइट डिस्चार्ज के दौरान परेशानी होती है। वहीं इस बारे में सिर्फ 29.8 प्रतिशत महिलाओं ने ही डाक्टरी सलाह ली।
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पीरियड्स आज भी एक तिहाई महिलाओं के लिए वर्जित विषय

लोकप्रिय बॉलीवुड फिल्म पैडमैन के बाद 67.7 प्रतिशत महिलाओं का माना कि वह मासिक धर्म के प्रति खुलकर बातचीत करने के लिए प्रेरित हुई। वहीं 52.2 प्रतिशत महिलाएं केमिस्ट की दुकान से सैनिटरी एसेंशियल खरीदने में सहज हुईं लेकिन अभी तक 78.3 प्रतिशत महिलाएं पैड चेंज करने के लिए सैनिटरी पैड छिपाकर ले जाती है जबकि 39.8 प्रतिशत महिलाओं ने सैनिटरी पैड को बदलने के लिए ऑफिस, मॉल या सिनेमा हॉल के पब्लिक टॉयलेट का इस्तेमाल नहीं किया है।   
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पीरियड्स में बरती लापरवाही बनती हैं सर्वाइकल कैंसर का कारण 

इन दिनों में सफाई का बड़ा अहम रोल होता है स्वच्छता का ध्यान ना रखने से महिलाओं पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है जिसके परिणाम बांझपन, गंभीर स्त्री रोग होते हैं। 
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स्वच्छता की दृष्टि से भारत में सबसे खराब स्थिति राजस्थान की है जिसका एक कारण पैड का इस्तेमाल ना करना है। 88 प्रतिशत भारतीय महिलाएं अभी भी सेनिटरी नैपकिन इस्तेमाल नहीं करती। इसी को देखते हुए सैनिटरी पैड को करमुक्त कर ऐतिहासिक फैसला भी लिया गया था। ग्रामीण क्षेत्रों में 68 प्रतिशत को उचित ज्ञान नहीं है। महिलाओं को आपस में एक-दूसरे को शिक्षित करना अनिवार्य है।

वहीं कुछ ने निभाई बेहतर पेशेवर जिम्मेदारी   

ऐसा नहीं कि महिलाएं जागरुक नहीं हुई हैं 54 प्रतिशत महिलाएं महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट या असाइनमेंट के दौरान पीरियड्स सर्किल का सामना करना पड़ा। 62.7 प्रतिशत महिलाओं ने माना कि माहवारी चक्र के दौरान उन्होंने कई तरह की एक्टिविटी का हिस्सा रहीं। 50.9 प्रतिशत महिलाओं ने पीरियड्स के दौरान ऑफिस जाना जारी रखा। लेकिन 43.5 प्रतिशत महिलाओं को यह लगता है कि पीरियड्स से उनकी वर्किंग (प्रोडेक्टिविटी) प्रभावित हुई जबकि 32.9 प्रतिशत औरतें पीरियड्स के दिनों में विचलित हुईं।

महिलाएं ना भूलें कि पीरियड्स एक नैचुरल प्रोसेस है जिसके चलते ही एक महिला मां बनने का सुख पा सकती है। इन दिनों में अपनी झिझक-शर्म और गलतफहमियों को दूर करें और इन दिनों साफ-सफाई का ध्यान रखें। पैड को 6 घंटे के भीतर बदलें और प्राइवेट पार्ट को गुनगुने पानी से साफ करें। कॉटन के इनरवियर पहनें। साबुन नहीं, अच्छे ब्रांड के इंटीमेट प्रॉडक्ट्स का इस्तेमाल करें।
 

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