22 NOVFRIDAY2024 3:45:42 PM
Nari

वायु प्रदूषण डाल रहा बच्चों के दिमाग पर असर, ध्यान लगाने में हो रही मुश्किल

  • Edited By palak,
  • Updated: 25 Apr, 2024 11:04 AM
वायु प्रदूषण डाल रहा बच्चों के दिमाग पर असर, ध्यान लगाने में हो रही मुश्किल

कारखानों, गाड़ियों से निकलने वाला धुआं स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक होता है। इसका असर सिर्फ बड़ों ही नहीं बल्कि बच्चों पर भी होता है। खासतौर पर वायु प्रदूषण के कारण निकलने वाला धुआं बच्चों के स्वास्थ्य पर गलत असर डालता है। इससे न सिर्फ उनका शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है। इस बात का खुलासा अब हाल ही के अध्ययन में हुआ है। अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि वायु प्रदूषण के कारण बच्चों की ध्यान लगाने की क्षमता खत्म हो रही है। इसके लिए नाइट्रोजन डाइऑक्साइड जैसे कारक जिम्मेदार हैं। 

बच्चों के दिमाग पर पड़ रहा असर 

अध्ययन के अनुसार, वाहनों में से निकलने वाले इस खतरनाक धुएं का बच्चों के दिमाग पर असर पड़ रहा है। स्पेन के बार्सिलोना इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ के रिसर्चर्स ने कहा कि 4-8 साल के उम्र के बच्चों में यह समस्या खासतौर पर देखी गई है। लड़कों के मुकाबले लड़कियों में प्रदूषण का ज्यादा असर दिखाई दिया है। अध्ययन में पता चला कि ट्रैफिक के धुएं का असर लड़कों पर लंबे समय तक रह सकता है क्योंकि उनका दिमाग धीरे-धीरे एक्टिव होता है। यह शोध एनवायरनमेंट इंटरेनशनल जर्नल में प्रकाशित हुआ है। 

PunjabKesari

बच्चों और महिलाओं का डाटा किया गया इकट्ठा

शोधकर्ताओं ने अध्ययन के दौरान शहर के 4 क्षेत्रों में 17 हजार से ज्यादा महिलाएं और उनके बच्चों का डाटा इस्तेमाल किया गया। इस डाटा में हर परिवार से प्रेग्नेंट और बचपन के पहले 6 वर्षों के दौरान नाइट्रोजन डाऑक्साइड बच्चों में एनओटू के जोखिम का अनुमान भी लगाया गया। 

दिमाग में बढ़ती है सूजन 

शोधकर्ताओं का कहना है कि लड़कों का दिमाग धीरे-धीरे विकसित होता है जबकि लड़कियों के दिमाग का विकास तेजी से होता है। ऐसे में वायु प्रदूषण के कारण लड़कों के दिमाग में सूजन और तनाव बढ़ता है। साथ ही वे काम और विचारों पर नियंत्रित करने में इतने विकसित नहीं होते । 

PunjabKesari

भारत में वायु प्रदूषण के कारण मौतें 

लैसेंट की रिपोर्ट्स के अनुसार, दुनिया में वायु प्रदूषण के कारण होने वाली मौतों का आंकड़ा हर साल करीबन 90 लाख तक का होता है। इनमें दक्षिण और पूर्वी एशिया में आंकड़े सबसे ज्यादा थे। हर साल चीन में 24.40 लाख और भारत में 21.80 लाख लोगों की वायु प्रदूषण के कारण मौतें होती हैं।

वायु प्रदूषण के लिए यह कारक हैं जिम्मेदार 

गाड़ियों से निकलने वाला धुआं, ईंधन तेल, घर गर्म रखने वाली प्राकृतिक गैसें, कोयला-ईंधन वाले बिजली यंत्र और रासायनिक उत्पादों में से निकलने वाले धुएं वायु प्रदूषण का कारण माने जाते हैं। इन सबके लिए पार्टिकुलेट मैटर 2.5 और पीएम 10 सल्फर डाईऑक्साइड को भी जिम्मेदार माना जा रहा है। 

PunjabKesari

Related News