नारी डेस्क: एक रहस्यमय बीमारी बच्चों के लिए काल बन गई है। झारखंड के साहिबगंज जिले के एक गांव में एक सप्ताह से अधिक समय से रहस्यमय बीमारी की चपेट में आने से पांच बच्चों की मौत हो गई है। अधिकारियों ने बताया कि पीड़ितों में मलेरिया जैसे लक्षण जैसे आंखों का पीला पड़ना, सर्दी, खांसी, बुखार और सिरदर्द की शिकायत है। बच्चों की मौत के बाद लोगों के दिलों में डर का माहौल पैदा हो गया है।
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डर और सदमे में लोग
प्रकोप की सूचना मिलने पर, रविवारको एक मेडिकल टीम नगरभिता गांव पहुंची और एक स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन किया, जहां उसने ग्रामीणों के रक्त के नमूने एकत्र किए। एक स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि रक्त के नमूनों को जांच के लिए धनबाद भेजा गया है और उसके बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि बच्चों की मौत कैसे हुई। गांव के मुखिया मैसा पहाड़िया ने बताया कि एक ही घर के तीन बच्चों की रहस्यमयी बीमारी से मौत के बाद लोग डर और सदमे में जी रहे हैं। उन्होंने कहा कि गांव में इस तरह का प्रकोप पहले कभी नहीं देखा गया था।

बीमारी के कारणों का नहीं चला पता
सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी के अनुसार चिकित्सा दल ने बीमारी से संक्रमित लोगों को सर्दी, खांसी, बुखार की दवा और ओआरएस के पैकेट दिए गए हैं। गांव के पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के रक्त के नमूने जांच के लिए धनबाद भेजे हैं। रिपोर्ट आने के बाद यह स्पष्ट हो जाएगा कि बच्चों की मौत किस बीमारी के कारण हुई है। सिविल सर्जन ने बताया कि रहस्यमय बीमारी की सूचना मिलने पर गांव में तीन चिकित्सा दल भेजे गए हैं अज्ञात बीमारी के कारणों का पता लगाया जा रहा है। नमूनों को प्रयोगशाला में भेजा गया है। ग्रामीणों को उच्च स्तरीय चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं।
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बच्चों को सर्दी, खांसी, बुखार होने पर रहें सतर्क
बदलते मौसम में बच्चों को सर्दी, खांसी और बुखार होना आम बात है, लेकिन कई बार यहसामान्य संक्रमण नहीं होता, बल्कि किसी गंभीर बीमारी का संकेत भी हो सकता है। बच्चों की इम्यूनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) कमजोर होने के कारण वे जल्दी संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं। इसलिए, बच्चों में सर्दी, खांसी और बुखार होने पर सतर्क रहना जरूरी है। मौसम बदलने पर बच्चों को वायरल इंफेक्शन हो जाता है, जिससे सर्दी, बुखार और गले में खराश हो सकती है। यह संक्रमण 2-5 दिन में ठीक हो जाता है, लेकिन अगर लंबे समय तक रहे तो डॉक्टर को दिखाना जरूरी है।

बैक्टीरियल संक्रमण से करें बचाव
बैक्टीरिया के कारण बच्चों में तेज बुखार, खांसी और बलगम जैसी समस्या हो सकती है। यदि खांसी 1 हफ्ते से ज्यादा हो या बलगम पीला/हरा हो, तो बैक्टीरियल इंफेक्शन हो सकता है। लंबे समय तक सांस लेने में तकलीफ, तेज खांसी और बुखार निमोनिया का संकेत हो सकता है। यह बच्चों में जानलेवा हो सकता है, इसलिए तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। धूल, धुएं या पालतू जानवरों के संपर्क में आने से बच्चों को एलर्जिक सर्दी-खांसी हो सकती है। इसमें छींक आना, नाक बहना और आंखों में खुजली जैसे लक्षण दिखते हैं। वहीं फ्लू के कारण बच्चों को तेज बुखार, ठंड लगना, थकान और सिरदर्द हो सकता है। यह वायरल संक्रमण के कारण होता है और 5-7 दिन में ठीक हो जाता है।
बच्चों को सर्दी, खांसी और बुखार में क्या करें?
भाप दिलाएं (Steam Inhalation) भाप लेने से नाक का जमाव खुलता है और सांस लेने में आसानी होती है। बच्चों को दिन में 2-3 बार भाप दिलाएं। छोटे बच्चों को बाथरूम में गर्म पानी चला कर भाप में बैठाएं।
हाइड्रेशन बनाए रखें: बच्चों को गुनगुना पानी या सूप पिलाएं ताकि शरीर में पानी की कमी न हो। पानी पीने से शरीर के टॉक्सिन्स बाहर निकलते हैं।
हर्बल काढ़ा (Herbal Tea): तुलसी, अदरक, काली मिर्च और शहद का काढ़ा बच्चों को पिलाएं। यह संक्रमण को कम करता है और गले में आराम देता है। 5 साल से बड़े बच्चों को ही काढ़ा दें।
हल्दी वाला दूध: हल्दी में एंटीबायोटिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो बुखार और संक्रमण को कम करते हैं। बच्चों को रात में हल्दी वाला दूध पिलाएं।
नोट: यदि बुखार 3 दिन से ज्यादा हो, सांस लेने में तकलीफ हो या बच्चा बहुत सुस्त दिखे तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। डॉक्टर की सलाह के बिना कोई दवा न दें।