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टीनएज लड़कियां क्यों हो रही यूट्रस ट्यूमर की शिकार, लक्षण-कारण और जानिए बचाव

  • Edited By Vandana,
  • Updated: 25 Nov, 2020 04:53 PM
टीनएज लड़कियां क्यों हो रही यूट्रस ट्यूमर की शिकार, लक्षण-कारण और जानिए बचाव

हम आए दिन महिला सेहत से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी वीडियो के जरिए शेयर करते हैं, जिसके बारे में हर औरत को पता होना जरूरी है। इन समस्याओं में एक गर्भाश्य ट्यूमर भी है जिसके केस अब तेजी से बढ़ रहे हैं और आम सुनने को मिल रहे हैं। आज की वीडियो में हम आपको इसी बीमारी के बारे में विस्तार से बताएंगे इसलिए एक एक जानकारी के लिए आखिर तक वीडियो जरूर देंखें।

लक्षणों की अनदेखी पड़ सकती है भारी

गर्भाश्य ट्यूमर यानि की फ़ॉयब्राइड्स जिसे आम भाषा में रसौलियां भी कहा जाता है। अगर समय रहते इसका इलाज कर लिया जाए तो इस रोग को खत्म किया जा सकता है लेकिन कई बार ट्यूमर इतना बढ़ जाता है कि तुरंत आप्रेशन की सलाह दी जाती हैं वहीं अगर इसे ज्यादा समय तक इसे अगर अनदेखा किया जाए तो आगे चलकर यह गर्भाश्य कैंसर का रुप ले लेती हैं।

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टीनएज लड़कियां भी हो रही शिकार

. पहले जहां 35 से 45 साल की उम्र के बीच की महिलाओं को यह समस्या होती थी वहीं आज टीनएज लड़कियां इसका शिकार हो रही हैं। भारत में कुल कैंसर के मरीजों में एक तिहाई मरीज गर्भाश्य कैंसर के ही हैं। वहीं 30 से 45 साल की उम्र की औऱतों को इसका सबसे ज्यादा खतरा है।

. देश में हर साल करीब  सवा लाख औरतों को बच्चेदानी का कैंसर हो जाता है और जिसमें 62 हजार की मौत हो जाती हैं।

. इस बीमारी के विशेषज्ञ डाक्टर्स के अनुसार, यूट्रस ट्यूमर होने की वजह एचपीवी यानि ह्यूमन पौपीलोमा वायरस है। सही समय पर सही इलाज इस वायरस को खत्म कर देता है इसलिए 30 साल के बाद एचपीवी की जांच नियमित रूप से करवानी चाहिए।

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अब इसके शुरुआती लक्षणों के बारे में जानिए...

पीरियड्स असामान्य होने लगते हैं ज्यादा या कम ब्लीडिंग
नाभि के निचले हिस्से और पीठ के निचले हिस्से, कूल्हों में पास दर्द
बार-बार यूरिन आना उस पर कंट्रोल ना रहना।
इंटरकोर्स के समय दर्द होना
पेट फूला हुआ, सूजन महसूस होना
कब्ज रहना।
थकान और चिढ़चिढ़ापन महसूस होना
बांझपन और गर्भपात होना
मल त्यागते समय भी दर्द होना क्योंकि ट्यूमर छोटी आंत, पेट व मू्त्राशय पर दबाव बनाता है।

क्यों बढ़ रही यह समस्या?

1. विशेषज्ञ डॉक्टर्स के अनुसार, इसके पीछे के बिलकुल सटीक कारण बता पाना मुश्किल होता है लेकिन सबसे बड़ा कारण माहवारी यानि की पीरियड्स के दिनों में साफ-सफाई ना रखना है।
2. सैनेटरी पैड्स का लंबे समय तक इस्तेमाल करना है जबकि 6 घंटे के भीतर पैड बदलना जरूरी हैं वहीं जरूरत पड़े तो उससे पहले भी।
3. दवाईयों जैसे गर्भनिरोधक गोलियों का लगातार इस्तेमाल करने वाली महिलाओं को ...
4. कई लोगों के साथ शारीरिक संबंध बनाने वाली
5. कम उम्र में शादी करने वाली, बार-बार गर्भधारण करने वाली महिलाओं को

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टेस्टोस्टेरोन हार्मोंन की कमी भी कारण

अमेरिका के स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में हुए एक सर्वे 'स्टडी ऑफ विमेंस हेल्थ अराउंड द नेशन' के मुताबिक, जिन महिलाओं के शरीर में टेस्टोस्टेरोन हार्मोंन अधिक मात्रा में होता हैं उनके गर्भाशय में ट्यूमर बनने की आशंका रहती है। वहीं जो महिलाएं पीरियड्स के इंफैक्शन से गुजर रही हैं उनमें टेस्टोस्टेरोन और एस्ट्रोजेन हार्मोन का अधिक होना गर्भाशय के कैंसर के खतरे को भी बढ़ा देता है।

कैंसर से बचाव के लिए याद रखें ये बातें...

-यह बीमारी टीनएज लड़कियों को भी शिकार बना रही है हालांकि अब इस कैंसर से बचने के लिए वैक्सीन उपलब्ध है। डाक्टरी सलाह से वैक्सीन लगावाएं।

-वहीं शरीर के किस्से हिस्से में कोई बदलाव दिखे तो तुरंत जांच करवाएं।

-अपना लाइफस्टाइल हैल्दी रखें। एक्सरसाइज और योग जरूर करें। साथ ही वजन पर कंट्रोल रखें।

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याद रखें कि गर्भाशय के कैंसर का शुरुआती लक्षण ट्यूमर बनना ही है। हालांकि ज्यादातर केस में इसका पता पहली स्टेज में ही चल जाता है और आपरेशन से यूट्रस को निकाल दिया जाता है।

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