भारत के कोने कोने में गणेश चतुर्थी का उत्सव शुरू हो चुका है। देशभर में इस त्यौहार को बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। भगवान श्रीगणेश को देशभर में गणपति, विघ्नहर्ता, बप्पा, गजानन, जैसे सहसत्रों नामों से जाना जाता है, जिसमें से एकदंत भी है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान श्रीगणेश को एकदंत नाम कैसे और क्यों मिला। चलिए आपको बताते हैं इसकी रोचक कहानी...
श्रीगणेश से गजानन बनने की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार माता पार्वती स्नान करने गई तो उन्होंने गजानन को द्वारपाल बनाकर बैठा। साथ ही माता पार्वती ने श्रीगणेश को आदेश दिया कि वह बिना इजाजत किसी को भी अंदर ना आने दे। तभी भगवान शिव वहां आए लेकिन भगवान गणेश ने उन्हें अंदर ना जाने दिया। क्रोधित होकर भगवान शिव ने उनका धड़ अलग कर दिया। माता पार्वती यह देख व्याकुल हो उठी तभी भगवान शिव ने गणेश भगवान के धड़ पर हाथी का सिर लगा दिया, जिसके बाद उन्हें गजानन कहा जाने लगा।
जब परशुराम ने तोड़ दिया था गणेशजी का एक दांत
कथाओं के मुताबिक, एक बार भगवान शिव और देवी पार्वती अपने कक्ष में आराम कर रहे थे। उन्होंने श्रीगणेश को आज्ञा दी की वह किसी को भी अंदर ना आने दें। तब पशुराम भगवान शिव से मिलने आए लेकिन गणेश ने उन्हें अंदर ना जाने दिया। इसपर पशुराम ने भगवान गणेश का एक दांत तोड़ दिया। गुस्सा शांत होने पर उन्होंने भगवान गणेश को एकदंत और कई वरदान भी दिए।
ये भी है कहानी
एक और अन्य कहानी के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने सपने में आकर महर्षि व्यास को महाभारत लिखने के लिए कहा। मगर, उन्होंने कोई के लिए चाहिए था। तब महर्षि वेद व्यास ने महाभारत महाकाव्य लिखने के लिए भगवान गणेश को कहा लेकिन उन्होंने शर्त रखी कि महर्षि कथा लिखवाते समय रूकेंगे नहीं। इसपर महर्षि ने भी शर्त रखी कि गणेश भी हर वाक्य को समझकर लिखेंगे, ताकि उन्हें सोचने का मौका मिल जाए। मगर, महाभारत लिखने की जल्दबाजी में भगवान गणेश ने उनका एक दांत टूट गया। तभी से उन्हें एकदंत कहा जाने लगा। हालांकि जल्दबाजी के बावजूद भी श्रीगणेश ने एक-एक शब्द अच्छी तरह समझकर लिखा।