कोरोना के लगातार बढ़ते हुए मामलों को देखते हुए अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्लड प्लाज्मा थेरेपी की अनुमति दे दी है। हालांकि वर्ल्ड हेल्थ आर्गनाइजेशन (WHO) और अमेरिकी डॉक्टर एंथनी फॉसी उनके इस फैसले से सहमत नहीं है क्योंकि अभी इस थेरेपी कारगार होने के पक्के सबूत नहीं है। यही नहीं, खबरों के मुताबिक, ट्रंप वैक्सीन ट्रायल पूरे हुए बिना ही इसे यूज करने की मंजूरी भी दे सकते हैं।
ट्रंप ने दी प्लाज्मा थेरेपी की मंजूरी लेकिन WHO ने उठाए सवाल
दरअसल, WHO का कहना है कि प्लाज्मा थेरेपी द्वारा इलाज सफल होने की संभावनाएं काफी कम है। शोधकर्ता फिलहाल प्लाज्मा थेरेपी पर शोध कर रहे हैं। वहीं डॉक्टर एथनी के मुताबिक, ट्रायल पूरे हुए बिना वैक्सीन का इस्तेमाल दिक्कतें बढ़ा सकता है। इस समय अमेरिका कोरोना से ग्रस्त देशों की लिस्ट में सबसे आगे है। मगर, कहा जा रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप के ऐसा करने की वजह नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव हो सकते हैं।
70 हजार लोगों को दी गई प्लाज्मा थेरेपी
एक इंटरव्यू के दौरान ट्रंप ने बताया कि प्लाज्मा थेरेपी के लिए फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने भी हामी भर दी है। वहीं, ब्रिटेन में भी चुनावों को ध्यान में रखते हुए वैक्सीन को आपातकालीन घोषित करने की तैयारी चल रही है। ट्रंप के मुताबिक, शोध में पाया गया कि प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना के कारण होने वाली 35% मृत्यु दर कम की जा सकती है। अमेरिका में 70 हजार लोगों पर प्लाज्मा थेरेपी दी भी जा चुकी है।
साल के अंत तक वैक्सीन आने की संभावना
बता दें कि कोरोना वैक्सीन बनाने के लिए एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड फार्मास्युटिकल कंपनी एकजुट होकर काम कर रहे हैं लेकिन इसमें कोई सफलता दिखाई नहीं दे रही। हालांकि वैज्ञानिकों का दावा है कि साल के अंत तक कोरोना वैक्सीन लॉन्च हो सकती है। ऐसे में किसी भी तरह की जल्दबाजी करना हानिकारक हो सकता है।
क्या है प्लाज्मा थेरेपी?
इसमें कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों के खून में से प्लाज्मा निकालकर बाकी मरीजों को दिया जाए। दरअसल, कोरोना या किसी भी संक्रमण से ठीक हुए मरीजों में कुछ एंटीबॉडीज बनती हैं। इसे खून से निकालकर बीमार व्यक्ति के शरीर में डाला जाता है, ताकि उसे भी वायरस से लड़ने में मदद मिल सके।
कैसे लिए जाते हैं प्लाज्मा?
खून से प्लाज्मा लेने के दो तरीके हैं। पहला - जिसमें अपकेंद्रित्र तकनीक यानी सेंट्रिफ्यूज तकनीक से 180 मि.ली से 220 मि.ली तक कन्वेंशनल सीरा यानी प्लाज्मा ले सकते हैं। दूसरा- एफ्रेसिस मशीन/सेल सेपरेटर मशीन का यूज करके एक बार में 600 मि.ली प्लाजमा लिया जा सकता है।
क्या सच में कारगर है प्लाज्मा थेरेपी?
फिलहाल वैज्ञानिक प्लाज्मा थेरेपी पर शोध कर रहे हैं कि यह कोरोना के मामले में कितना कारगार साबित हो सकती है। भारत में भी कुछ मरीजों पर प्लाज्मा थेरेपी ट्राई की गई थी, जिसके रिजल्ट काफी पॉजिटिव निकले। एक्सपर्ट के मुताबिक, अगर मरीज का चुनाव सही से किया जाए तभी इसके रिजल्ट अच्छे मिल सकते हैं।