वास्तु शास्त्र के एक ऐसा शास्त्र है जहां पर कई सारे नियम बताए गए हैं। इसके अलावा इस शास्त्र में बच्चों के स्टडी रुम से जुड़े भी कुछ नियमों का उल्लेख किया गया है। यदि स्टडी रुम में इन नियमों का ध्यान न रखा जाए तो बच्चों की तरक्की में बाधा आ सकती है। यह वास्तु के नियम बच्चे की तरक्की में परेशानी का कारण बन सकते हैं। तो चलिए जानते हैं इनके बारे में....
इस दिशा में हो बच्चे के मुख
बच्चे का पढ़ाई करते समय मुख हमेशा उत्तर या फिर पूर्व दिशा में ही होना चाहिए। मान्यताओं के अनुसार, इससे उनका मानसिक विकास होता है और बच्चों की याददाश्त भी बढ़ती है।
यहां बनवाएं स्टडी रुम
स्टडी रुम हमेशा घर की उत्तर पूर्व दिशा में बनाना चाहिए। यदि आप इस दिशा में नहीं बना सकते आप पूर्व या फिर उत्तर दिशा में भी स्टडी रुम बनवा सकते हैं परंतु दक्षिण दिशा में कभी भी स्टडी रुम नहीं बनाना चाहिए।
इन रंगों का करें इस्तेमाल
बच्चों के मन की शांति के लिए स्टडी रुम में रंगों का ध्यान रखना भी आवश्यक है। यहां पर आप पीला, नीला और हरे रंग का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे बच्चों का मन पढ़ाई में लगता है।
न हो टेबल पर बेकार चीजें
टेबल पर कभी भी बेकार चीजें नहीं रखनी चाहिए। मान्यताओं के अनुसार, यहां पर बेकार चीजें रखने से पढ़ाई में बच्चों का मन भटकने लगता है।
जलाएं मोमबत्ती
अगर आपके बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता तो आप घर के उत्तर-पूर्वी और दक्षिण दिशा में मोमबत्ती जलाएं। वास्तु मान्यताओं के अनुसार, इससे आपका मन पढ़ाई में लगेगा।
रखें ग्लोब और तांबे का पिरामिड
स्टडी टेबल पर आप ग्लोब और तांबे का पिरामिड जरुर रखें। इससे स्टडी रुम में मौजूद नेगेटिविटी दूर होती है और बच्चे का मन भी पढ़ाई में लगता है।