अकसर कई माता-पिता अपने बच्चों की शादी-विवाह को लेकर बहुत चिंतित रहते हें और पंडितों तथा ज्योतिर्विदों के पास जाकर परामर्श-सलाह लेते रहते है किन्तु क्या कभी आपने सोचा की विवाह में विलंब के कई कारण हो सकते हैं। इनमे से एक मुख्य कारण वास्तु दोष भी हो सकता है। यदि आप भी अपनी संतान के विवाह बाधा देरी की वजह से चिंतित हैं तो वास्तु शास्त्र में कुछ ऐसे उपाय बताए गए हैं जिनको अपनाकर जल्दी आपके घर में शहनाई बज सकती है।
1 वास्तु के मुताबिक जिस लड़के या लड़की की शादी में देरी हो रही हो उसके कमरे का बेड दीवार से चिपका नहीं होना चाहिए। बेड की दोनों तरफ से दीवारों से दूरी बनी रहनी चाहिए। अगर आप ऐसा नहीं करेंगे तो शादी होने में उतनी ही देरी होगी।
2 वहीं शादी के योग्य बच्चे का कमरा उत्तर-पश्चिम दिशा में होना चाहिए। अगर उसका कमरा उत्तर-पश्चिम दिशा में नहीं है तो शादी में देरी होगी। वास्तु में कहा गया है कि बच्चे का कमरा वायव्य कोण में होना चाहिए।
3 विवाह योग्य युवक और युवतियों के कमरे में कलर हल्का गुलाबी होना चाहिए। हो सके तो कमरे में कुछ ऐसे कलर को करवाएं जो आंखों में चुभे नहीं। जैसे कि काला, गहरा भूरा और नीला रंग न ही करवाएं तो बेहतर है।
4 वास्तु की माने तो विवाह से पहले मिलने पर युवक-युवतियों को कभी दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके नहीं बैठना चाहिए। दक्षिण दिशा मंगल कार्यों के लिए अशुभ मानी जाती है।
5 पलंग के ऊपर किसी भी प्रकार की बीम या दुछत्ती नहीं होना चाहिए ऐसा होने से मानसिक तनाव हो सकता है जो विवाह के निर्णंय में बाधा उत्त्पन्न कर सकता है।
6 जिस किसी विवाह योग्य व्यक्ति के विवाह में अड़चन आ रही हो तो ऐसे व्यक्ति के बैडरूम के अंदर दक्षिण-पश्चिम दिशा में कैंची, छुरी और धारदार वस्तुएं कदापि ना रखें।
7 वास्तु में कहा गया है जो अविवाहित दक्षिण दिशा में सोते हैं, उनके विवाह शीघ्र नहीं होते। इसी तरह से नैऋत्य कोण में सोने वालों को विवाह के लिए काफी इंतजार करना पड़ता है।
8 विवाह योग्य युवक और युवतियों के कमरे में किसी भी तरह का बर्तन रखा नहीं जाना चाहिए। साथ ही उनके बेड के नीचे किसी भी तरह का लोहे का सामान तो बिल्कुल न हो।