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पिता की मौत के बावजूद घर नहीं लौटीं थी वंदना कटारिया, ओलंपिक में सबसे ज्यादा गोल कर रचा इतिहास

  • Edited By Anu Malhotra,
  • Updated: 06 Aug, 2021 12:06 PM
पिता की मौत के बावजूद घर नहीं लौटीं थी वंदना कटारिया, ओलंपिक में सबसे ज्यादा गोल कर रचा इतिहास

टोक्यो ओलंपिक में अपनी ऐताहिसिक शानदार प्रदर्शन के बावजूद भारतीय महिला हॉकी टीम मेडल नही जीत सकी, टीम ब्रॉन्ज के मुकाबले में ब्रिटेन से 3-4 से हार गई। लेकिन अपना आक्रमक खेल की वजह से भारतीय महिला हॉकी ने पूरे देश का दिल जीत लिया।  मैच में सबसे ज्यादा गोल करने वाली खिलाड़ी वंदना कटारिया ने जिस तरह इस मैच में भी गेल दागे वह वाकई काबिल-ए-ताऱिफ है। 

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लेकिन इसके बावजूद हरिद्वार की रहने वाली वंदना कटारिया के घर पर हमला किया गया। सेमीफाइनल में टीम अर्जेंटीना से हार गई, हार के बाद वंदना के परिवारवालों को जातिसूचक गालियां दी गईं। हालांकि इसकी शिकायत पुलिस से की गई है और मामला भी दर्ज किया गया है। 

वहीं देखने वाली बात यह है कि जो खिलाड़ी पूरे देश का प्रतिनिधित्व कर रहा हो और उसके परिवारवालों के साथ ऐसा व्यवहार होता है, तो वह कितने दबाव में खेलता होगा इन सब के बाद भी ब्रॉन्ज के मुकाबले में वंदना कटारिया ने ब्रिटेन के खिलाफ एक गोल दाग अपने जज्बे का सबूत दिया। 

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 पिता की मौत के बाद भी घर नहीं आईं थी हाॅकी प्लेयर वंदना कटारिया
केवल इतना ही नहीं वंदना कटारिया के पिता का 30 मई को निधन हो गया था, इस दौरान वे नेशनल कैंप थीं। पिता की इच्छा थी कि बेटी ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीते, इस सपने को पूरा करने के लिए वंदना पिता की मौत के बाद भी घर वापिस नहीं आईं और खेल की प्रैक्टिस करती रहीं। अपने बेहतरीन खेल से 29 साल की वंदना ने एशियन गेम्स, एशिया कप और जूनियर वर्ल्ड कप में मेडल जीता है।

कड़ा मुकाबला देने के बाद भी महिला हाॅकी टीम मेडल से चूक गई
टोक्यो ओलंपिक सबसे अधिक गाेल करने वाली खिलाड़ी वंदना कटारिया के नाम हैट्रिक गोल का रिकाॅर्ड भी दर्ज है। वंदना ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ रोमांचक मुकाबले में तीन गोल किए थे। इस कारण टीम 4-3 से जीतने में सफल रही और क्वार्टर फाइनल में प्रवेश किया। लेकिन सेमिफाइनल मैच में कड़ा मुकाबला देने के बाद भी महिला हाॅकी टीम मेडल से चूक गई। 

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महिला टीम का यह तीसरा ओलंपिक था
जानकारी के लिए बता दें कि महिला टीम का यह तीसरा ओलंपिक था। इससे पहले  2016 रियाे ओलंपिक में टीम सबसे निचले 12 वें नंबर पर रही थी,  इस बार टीम ने वापसी करते हुए टॉप-4 में जगह बनाईवहीं, इसके अलावा 1980 में टीम चौथे नंबर पर रही थी।
 

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