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दिल्ली की हवा में ज़हर घुला! प्रदूषण ने तोड़ा रिकॉर्ड, लोग परेशान...कई इलाकों में हालात गंभीर

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 10 Nov, 2025 11:12 AM
दिल्ली की हवा में ज़हर घुला! प्रदूषण ने तोड़ा रिकॉर्ड, लोग परेशान...कई इलाकों में हालात गंभीर

नारी डेस्क:  दिल्ली में सांस लेना अब किसी चुनौती से कम नहीं रहा। राजधानी और आसपास के एनसीआर इलाकों में हवा इतनी जहरीली हो चुकी है कि लोगों का गला जलने लगा है, आंखों में चुभन और सांस लेने में भारी दिक्कत महसूस हो रही है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के सोमवार सुबह के आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली की हवा ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच गई है  यानी अब यह स्वस्थ लोगों के लिए भी खतरनाक हो चुकी है।

दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का कहर

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) की हवा सोमवार सुबह से ही धुंध और स्मॉग की चादर में लिपटी नजर आई। लोगों को ऑफिस और स्कूल जाते समय सांस लेने में परेशानी हुई। हवा में मौजूद सूक्ष्म कण PM2.5 और PM10 खतरनाक स्तर पर पहुंच चुके हैं। CPCB के सुबह 7 बजे के आंकड़ों के अनुसार  दिल्ली (औसत AQI): 346 – गंभीर श्रेणी की शुरुआत नोएडा: 336 गाजियाबाद: 302 यह स्थिति बताती है कि पूरा NCR क्षेत्र जहरीली हवा की गिरफ्त में है।

दिल्ली के प्रमुख इलाकों में AQI का हाल

राजधानी दिल्ली के कई प्रमुख इलाकों में वायु गुणवत्ता का स्तर बेहद चिंताजनक स्थिति में पहुंच गया है। बवाना जैसे क्षेत्रों में AQI 400 के पार यानी “गंभीर” श्रेणी में दर्ज किया गया है, जबकि आनंद विहार (379), बुराड़ी (389), अशोक विहार (373), ITO (378), मुंडका (378), अलीपुर (351), चांदनी चौक (365), ओखला (347) और पूसा (348) जैसे अधिकांश क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता “बहुत खराब” श्रेणी में है। इन आंकड़ों से साफ है कि दिल्ली की हवा अब ज़हर बन चुकी है, और लोग हर सांस के साथ अपने स्वास्थ्य को गंभीर खतरे में डाल रहे हैं।

‘बहुत खराब’ से ‘गंभीर’ श्रेणी का मतलब क्या है?

वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) को 0 से 500 के बीच मापा जाता है। 301 से 400 के बीच का AQI – ‘बहुत खराब’ (Very Poor) श्रेणी में आता है। 401 से 500 के बीच का AQI – ‘गंभीर’ (Severe) श्रेणी कहलाता है। इस स्तर की हवा स्वस्थ लोगों को भी प्रभावित करती है, जबकि जिन लोगों को पहले से सांस या दिल की बीमारी है, उनके लिए यह बेहद खतरनाक साबित हो सकती है। बच्चे और बुजुर्गों को इस समय विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।

आम लोगों की बढ़ी परेशानियां

दिल्लीवासियों का कहना है कि सुबह-सुबह धुंध इतनी घनी है कि कुछ मीटर तक देखना मुश्किल हो जाता है। कई लोगों को गले में खराश, आंखों में जलन और सिरदर्द जैसी समस्याएं हो रही हैं। स्कूल जाने वाले बच्चों और सुबह के समय जॉगिंग करने वालों पर सबसे ज्यादा असर पड़ रहा है।

 प्रशासन ने बढ़ाई सख्ती

प्रदूषण के इस गंभीर स्तर को देखते हुए प्रशासन ने ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के तहत कुछ सख्त कदम उठाने की तैयारी की है। इनमें शामिल हैं-

निर्माण कार्यों पर रोक

स्कूलों में आउटडोर एक्टिविटीज बंद करना

डीजल जनरेटरों पर पाबंदी

सड़कों पर वाहनों की निगरानी बढ़ाना

राज्य सरकार ने लोगों से अपील की है कि वे अनावश्यक रूप से बाहर न निकलें, N95 मास्क पहनें और घर में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें।

 आखिर कब रुकेगा यह ‘स्मॉग अटैक’?

हर साल सर्दियों में दिल्ली की हवा जहरीली हो जाती है। पराली जलाना, वाहनों का धुआं, औद्योगिक उत्सर्जन और मौसमी परिवर्तन इसके प्रमुख कारण हैं। लेकिन इस बार स्थिति पहले से भी अधिक भयावह है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो दिल्लीवासियों का फेफड़ों का स्वास्थ्य स्थायी रूप से प्रभावित हो सकता है।

दिल्ली इस समय एक ‘गैस चैंबर’ में बदल चुकी है। हर सांस के साथ जहरीले कण शरीर में घुस रहे हैं। प्रशासनिक उपाय ज़रूरी हैं, लेकिन नागरिकों की जागरूकता और जिम्मेदारी भी उतनी ही अहम है। क्योंकि जब हवा ही ज़हर बन जाए, तो जीवन की बुनियाद ही हिल जाती है। 

 

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