हमारे बुजुर्ग मसाले और चटनी बनाने के लिए सिल बट्टे का प्रयोग किया करते थे। जिसके फायदे शरीर को निरोगी रखने के लिए उपयोगी माने जाते थे। आधुनिक समय में सिल बट्टे की जगह अब मिक्सर ग्राइंडर ने ले ली है। मगर क्या आप जानते हैं कि पत्थर का यह सिला शरीर को निरोगी और उम्र को बढ़ाने वाला आखिर क्यों माना जाता था? तो चलिए आज जानते हैं सिल बट्टे से शरीर को मिलने वाले फायदों के बारे में विस्तार से....
मोटापा कम करने में फायदेमंद
मोटापा कम करने में सिल बट्टा एक उपयोगी मशीन की तरह भी काम करती है। सिल बट्टे पर कोई भी वस्तु पीसते वक्त शरीर की काफी कसरत हो जाती है। पेट की चर्बी को कम करने के लिए सिल बट्टे का इस्तेमाल बेहद फायदेमंद रहता है।
नार्मल डिलीवरी
महिलाएं किचन में सिल बट्टे का इस्तेमाल करती हैं उनकी कभी सिजेरियन डिलीवरी नहीं होती हैं क्योंकि सिल बट्टे के इस्तेमाल से पेट का व्यायाम होता रहता है। साथ ही इस पर पिसे हुए मसालों के सेवन से पेट की मांसपेशियां मजबूत बनती है।
टेस्ट
सिल बट्टे पर मसाला पीसने से उनकी खुशबू और स्वाद दोनों बढ़ जाते हैं। सब्जी में इन मसालों को डालने के बाद सब्जी का स्वाद और बेहतर हो जाता है। साथ ही सब्जी के पोषक तत्व भी काफी मात्रा में बढ़ जाते हैं।
शरीर में गर्मी से बचाव
इलेक्ट्रिक ब्लेंडर में मसाले पीसने से गर्मी जारी होती है जिससे उसके स्वाद पर बदल जाता है। जब आप ब्लेंडर में अदरक लहसुन पीसते हैं, तो गर्मी से लहसुन का स्वाद कड़वा हो जाता है। जबकि सिल बट्टा पर इसका स्वाद और नेचर दोनों नार्मल रहते हैं।
मसालों के पोषक तत्व
ब्लेंडर में चीजों को काटकर पीसना पड़ता है जबकि सिल बट्टे पर सब चीजों को साबुत पीसा जाता है जिससे चीजों के तेल और फाइबर भी पीसे जाते हैं। यही कारण है कि सिल बट्टे पर बनने वाली चटनी का स्वाद ग्राइंडर वाली चटनी से ज्यादा होता है।
हाथों की वर्जिश
ब्लेंडर या ग्राइंडर में आप चीजों को डालकर एक दो मिनट में पीस लेते हैं जबकि सिल बट्टा या ओखली मूसल में आपको काफी देर तक हाथ चलाना पड़ता है। इससे हाथों की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं। शायद यही कारण है कि आपकी दादी-नानी के हाथ, कंधे और बाहें इतनी मजबूत हैं।
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