इस्कॉन के एक शीर्ष पदाधिकारी ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश के वृंदावन में भगवान श्री कृष्ण का गगनचुंबी मंदिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय संस्कृति के एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभरेगा और भारत में पर्यटन और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा। वृन्दावन हेरिटेज टॉवर 70 मंजिल ऊंचा और 210 मीटर होगा, जो आठ करोड़ अमरीकी डालर की लागत से बनाया जा रहा है। यह दुनिया का सबसे ऊंचा धार्मिक स्मारक होगा।
वृन्दावन हेरिटेज टॉवर एक अष्टकोणीय संरचना है जिसमें उत्तर इकाई, दक्षिण इकाई, पूर्व इकाई और पश्चिम इकाई है। मंदिर परिसर में आवास सुविधाएं होंगी, जो पर्यटकों के अनुभव को अच्छा बनाएंगी। मंदिर की योजना इस्कॉन बैंगलोर द्वारा बनाई गई है। नियोजित प्रयास में मंदिर को लगभग 210 मीटर (700 फीट) की ऊंचाई तक बढ़ाना शामिल है और 50,000 वर्ग मीटर (540,000 वर्ग फुट) का निर्मित क्षेत्र होगा।
बताया जा रह है कि टावर का डिजाइन वृंदावन के ही दो मंदिर राधा मदन मोहन मंदिर और श्री राधा गोविंद देव मंदिर की प्रेरणा से ली गई है । यह दोनों मंदिर के समागम से ब्रजभूमि की समृद्ध विरासत उजागर होगी। कहा जाए तो आने वाले समय में वृंदावन हेरीटेज टावर न सिर्फ एक टूरिज्म हब की दृष्टिकोण से बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप में भी एक बड़ा कदम साबित होगा ।
यह ब्रज की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का समागम होगा। इसके माध्यम से प्रचारित भगवान श्री कृष्ण और श्रीमद् भगवद् गीता का उपदेश देश विदेश के लोगों के जीवन में सनातन धर्म की प्रेरणा देगा। मथुरा जिले में चंद्रोदय मंदिर का शिलान्यास समारोह 16 मार्च 2014 को होली के शुभ अवसर की पूर्व संध्या पर किया गया था, तब से इसके बनने का इंतजार हो रहा है।
ग्लोबल हरे कृष्णा मूवमेंट के उपाध्यक्ष और इस्कॉन बैंगलोर के वरिष्ठ उपाध्यक्ष चंचलपति दास ने कहा कि आध्यात्मिकता के लिए कोई टूटा-फूटा बुनियादी ढांचा नहीं हो सकता और मंदिर हमेशा जर्जर स्थिति में नहीं रह सकते। उन्होंने कहा- हमार पास विदेशियों को भारत लाने और उन्हें दिखाने के लिए आध्यात्मिक बुनियादी ढांचा, धार्मिक बुनियादी ढांचा होना चाहिए, जिन पर आप गर्व कर सकें। जब आप उन्हें वृन्दावन लाएंगे, तो आपको कृष्ण के संदेश पर निर्मित इस प्रकार का विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचा निर्मित होना चाहिए और इसलिए यह एक और महत्वपूर्ण उद्देश्य है।''