22 DECSUNDAY2024 12:00:24 PM
Nari

रविवार को सूर्यदेव की पूजा के बाद जरूर पढ़ें ये व्रत कथा, हर परेशानी होगी दूर

  • Edited By Charanjeet Kaur,
  • Updated: 10 Jun, 2023 05:11 PM
रविवार को सूर्यदेव की पूजा के बाद जरूर पढ़ें ये व्रत कथा, हर परेशानी होगी दूर

सन्नातन धर्म में सूर्य देव का बहुत महत्व है। हिंदू के पंचदेवों में सूर्यदेव को समर्पित होता है। इस दिन व्रत रखकर भगवान सूर्य देव की पूजा करनी चाहिए और उन्हें सूर्योदय के समय जल का अर्घ्य करनी चाहिए। सूर्य देव को व्यक्ति के जीवन में मान- सम्मान, पिता-पुत्र और सफलता का कारक माना गया है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान सूर्य की पूजा करने से व्यक्ति को आरोग्य प्राप्त होता है। उसे मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। इसलिए रविवार के दिन व्रत रखकर सूर्य की पूजा करें और व्रत कथा जरूर पढ़े। मान्यता है कि इससे मनुष्य की सारी विपत्तियां दूर होती हैं।

PunjabKesari

रविवार की व्रता कथा

पौरणिक कथा के अनुसार प्राचीनकाल में एक बुढ़िया रविवार का व्रत रखती थी।  हर रोज सुबह उठकर आंगन को पड़ोसन की गाय के गोबर से लीपकर स्वच्छ करती और फिर स्नान आदि के बाद विधि पूर्वक सूर्य देव का पूजन करती और व्रत कथा सुनती। इस तरह से वह अति खुश और सुखी रहती। सूर्य भगवान की अनुकंपा से बुढ़िया को किसी प्रकार की चिंता एवं कष्ट नहीं था। धीरे-धीरे उसका घर धन-धान्य से भर रहा था। इसे देखकर उसकी पड़ोसन उससे ईर्ष्या करती। ईर्ष्या वश पड़ोसन ने एक दिन अपनी गाय को अपने आँगन में बांध दिया ताकि बुढ़िया को गोबर न मिले।

PunjabKesari

ऐसे में उस रविवार को गोबर न मिलने के कारण बुढ़िया भगवान सूर्य की उपासना न कर सकी और रात में बिना कुछ भी ग्रहण किये हुए सो गई। जब सुबह उसने देखा तो घर में एक सुंदर गाय और बछड़ा बंधा था। इससे देख वह अति प्रसन्न हुई। बुढ़िया के यहां गाय और बछड़ा देखकर पड़ोसन की आंखें फटी की फटी रह गई। इतने पर गाय ने सोने का गोबर किया, जिसे पड़ोसन ने चोरी से उठा लाई।  इस तरह वह रोज बुढ़िया के गाय का स्वर्ण गोबर उठा लाती। इससे पड़ोसन खूब धन धान्य से परिपूर्ण हो गई है। यह घटना जब सूर्य देव ने देखा तो उन्होंने रात में तेज आंधी चलाई। इससे बुढ़िया ने गाय को घर के आंगन में बांध लिया। जब सुबह उसने सोने का गोबर देखा तो वह अति प्रसन्न हुई। इससे पड़ोसन जलभुन कर बुढ़िया के बारे में राजा को खबर कर दी। राजा ने बुढ़िया से गाय और बछड़ा छीन लिया जिससे बुढ़िया की स्थिति फिर दयनीय हो गई।

तब सूर्य देव ने राजा को स्वप्न दिखाया कि यदि वह बुढ़िया की गाय वापस नहीं करता तो उसका महल नष्ट हो जाएगा और उसके ऊपर विपत्तियों का पहाड़ टूट पड़ेगा। सुबह होते ही राजा ने बुढ़िया की गाय वापस कर दी और उसके पड़ोसन को उचित दंड भी दिया, तथा पूरे राज्य में रविवार व्रत रखकर सूर्य देव की पूजा का आदेश दिया। इससे सभी लोगों के घर धन-धान्य से भर गए, राज्य में चारों ओर खुशहाली छा गई।

नोट- यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। यहां यह बताना जरूरी है कि हम किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करते हैं।


 

Related News