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भारत में शुरू हुआ ऑक्सफोर्ड वैक्सीन का आखिरी ह्यूमन ट्रायल

  • Edited By neetu,
  • Updated: 24 Sep, 2020 03:26 PM
भारत में शुरू हुआ ऑक्सफोर्ड वैक्सीन का आखिरी ह्यूमन ट्रायल

कोरोना सभी देशों में तेजी से फैलता जा रहा है। ऐसे में इससे बचने के लिए वैज्ञानिकों द्वारा वैक्सीन बनाने की खोज जारी है। ऐसे में इस पर कई वैक्सीन बनी और उनका ट्रायल भी किया जा रहा है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा बनाई गई वैक्सीन का तो दुनिया भर के लोग इंतजार कर रहें हैं। मगर इसे इस्तेमाल करने से पहले इसके साइड इफेक्ट्स को देखने के लिए इसका ह्यूमन ट्रायल बेहद जरूरी है। बता दें, इस वैक्सीन को बनाने का काम भारत के पुणे शहर के सीरम इंस्टिट्यूट में किया गया है। इस वैक्सीन को 'कोविशील्ड'  नाम दिया जाएगा। इसी वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल को लेकर कहा गया है कि चंडीगढ़ के पीजीआई अस्पताल में इस वैक्सीन के अंतिम चरण के ट्रायल प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। यहां हम आपको बता दें कि इस वैक्सीन के ट्रायल के लिए कुल 17 संस्थानों को चुना गया है जिनमें से ही चंडीगढ़ का पीजीआई एक है। 


डाटा सेफ्टी एंड मॉनिटरिंग बोर्ड, नई दिल्ली से वैक्सीन के लिए मंजूरी मिलने पर चंडीगढ़ के पीजीआई में इसका ह्यूमन ट्रायल का काम शुरू किया गया है। यह ट्रायल तीसरा यानि आखिरी चरण का होगा। इसमें सबसे पहले व्यक्ति की जांच की गई है कि वह इस ट्रायल के लिए पूरी तरह से सेहतमंद है या नहीं।

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कुल 3 डोज में दी जाएगी वैक्सीन

कहा गया है कि, वीरवार या शुक्रवार को इस वैक्सीन की पहली डोज वॉलंटियर्स को दी जाएगी। खबरों के मुताबिक 15 दिन में इस डोज का रिजल्ट देखने को मिलेगा। फिर करीब 29 दिनों के इंतजार के बाद इस वैक्सीन की दूसरी डोज देेने की मंजूरी मिलेगी। बता दें, इस ट्रायल में करीब 400 लोगों पर यह वैक्सीन ट्राई की जाएगी। 

ट्रायल से पहले वॉलंटियर्स की गई स्क्रीनिंग 

पीजीआई की ओर से इस वैक्सीन को चैक करने के लिए पहले कुल 10 वॉलंटियर्स की स्क्रीनिंग की गई है। ताकि उनकी सेहत के बारे में ठीक से पता लगाया जा सके। जिन भी लोगों इसका ट्रायल होगा उनमें इसका असर देखने के लिए रिसर्च की जाएगी। कहा जा रहा है कि वॉलंटियर्स को चुनने व उनको डोड देने का काम एक साथ ही किया जाएगा। 

पहले होगा कोरोना टेस्ट 

एक्सपर्ट्स के मुताबिक,  इन लोगों का पहले कोरोना टेस्ट किया जाएगा। उसके बाद ही इन्हें इस वैक्सीन की डोज दी जाएगी। साथ ही जिन्हें यह डोज दी जाएगी, उनसब को करीब 6 महीने के बाद जांच के लिए बुलाया जाएगा। 

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18 साल से अधिक लोगों पर होगा ट्रायल 

इस ट्रायल के लिए कुछ बातों का ध्यान रख कर ही किसी पर यह टेस्ट किया जाएगा। बता दें, इस वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल उन लोगों पर किया जाएगा, जो लोग 18 की उम्र को पार कर चुके हैं। इस बात को भी देखा जाएगा कि उनके परिवार में किसी को भी कोरोना वायरस न हुआ हो। साथ ही वॉलंटियर्स पूरी तरह से सेहतमंद हो। चंडीगढ़ के पीजीआई अस्पताल में जिन 250 लोगों परइस वैक्सीन का ट्रायल होगा, उन सभी का पहले कोरोना व मेडिकल टेस्ट किया जाएगा। 


बता दें, कि पिछले कुछ दिनों में ट्रायल के दौरान 1 वॉलंटियर की तबीयत खराब होने पर अंतिम पड़ाव के ट्रायल को रोकना पड़ा था। इसके बाद ब्रिटेन की 'मेडिसिंस हेल्थ रेगुलेटरी अथॉरिटी' ने इस प्रक्रिया की जांच कर वैक्सीन को सही बताया था। अब इस वैक्सीन का आखिरी चरण का ट्रायल किया जा रहा है। 

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भारत बायोटेक कंपनी ने सेंट लुइस के साथ किया समझौता

दुनियाभर में इसकी वैक्सीन बनाने के पीछे शोध चल रहें हैं। ऐसे में ही भारत बायोटेक कंपनी ने सेंट लुइस में वॉशिंगटन विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ मेडिसिन के साथ इस वैक्सीन को बनाने के लेकर एक लाइसेंसिंग पार्टनरशिप कर ली है। इस वैक्सीन के शोधकर्ताओं का कहना है कि नाक के जरिए दी जाने वावी यह डोज इम्यूनिटी बढा़ने में ज्यादा कारिगर साबित होती है। 


 

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