आज बच्चों में शिष्टाचार और अनुशासन की कमी देखी जाती है। इसके जिम्मेदार माता-पिता स्वयं ही हैं। बचपन में ही बच्चों को कामनसैंस की बातें, शिष्टाचार के सूत्र और अनुशासन में रहना सिखाएं। उन्हें बड़ों से नम्रता का व्यवहार करना सिखाएं। घर के काम में हाथ बंटाना सिखाएं। उसके छोटे से छोटे कार्य की प्रशंसा करें। बच्चों के सामने अपशब्द नहीं बोलें। चुगली न करें, झूठ नहीं बोलें। आपका अपना जीवन यदि संयमित, संतुलित, अनुशासित शिष्ट रखेंगे तभी आपके बच्चे का जीवन सुंदर एवं शिष्ट बन सकेगा। आपकी जीवनशैली, बच्चे के लिए मार्गदर्शक, प्रकाश स्तम्भ का काम करती है। वह बड़ों का अनुसरण करना जल्दी सीख जाते हैं। चलिए बताते हैं किस तरह बच्चों को सिखाया जा सकता है शिष्टाचार और अनुशासन
जागरूकता ही जीवन
बच्चों को समझाएं कि उचित समय पर उचित बात, उचित ढंग से कहना शिष्टाचार एवं कामनसैंस कहलाता है। हर बात सोच विचार एवं विवेक बुद्धि से तौलकर बोलना ही आपके जीवन को सुविधाजनक बनाता है। प्रात: से सायं हमारे जीवन में बहुत से अवसर आते हैं जब हमें थोड़ा सोच विचार एवं समझदारी से काम लेना होता है। यदि हम वह मौका चूक गए तो बाद में हमें पछताना पड़ता है।
दूसरे व्यक्ति को दें सत्कार
बच्चों को बताएं कि दूसरे व्यक्ति को अपनी सहृदयता एवं सत्कार आदर की भावना का परिचय देना शिष्टाचार कहलाता है। शिष्टाचार के अभाव में सौंदर्य का भी महत्व नहीं रहता। दैनिक जीवन में हम कुछ बातों का ध्यान रखें तो हमारे व्यक्तित्व में निखार लाया जा सकता है। निम्र बातों द्वारा शिष्टाचार को विकसित किया जा सकता है।
इन चीजों को लेकर भी दें जानकारी
बच्चों को यह भी बताएं कि चलते समय जगह-जगह थूकना अभ्रदता कहलाता है। खाना खाते समय दूसरों से बातें ना करें। हाथ धोकर ही भोजन करें। उचित ढंग से बैठकर शांति से भोजन करें। क्रोध में भोजन नहीं करें। सार्वजनिक स्थानों पर स्वच्छंद मूत्र त्याग नहीं करें। शौचालय का प्रयोग करें।
पुस्तक का सम्मान करें
बच्चों को बताएं कि उंगली को थूक लगाकर पुस्तक के पन्ने नहीं पलटाएं, इससे विद्या का भी अपमान होता है और यह स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक होता है। जीवाणु पुरानी किताबों पर लगे रहते हैं।
दूसरे को छूने से बचें
दूसरों के शरीर पर बार-बार थकियां मार-मारकर बातें नहीं करें। स्त्रियों से बातें करते समय उनके शरीर के किसी भाग को नहीं छुएं। बहुत नजदीक जाकर बात नहीं करें। लड़कों को समझाएं कि लड़कियों, स्त्रियों को घूरें नहीं। उनको लगातार टकटकी लगाकर नहीं देखें। उन पर कटाक्ष नहीं करें।
इन बातों पर ना करें विश्वाश
बच्चों को बताएं कि जादू- टोना, जंतर-मंतर में विश्वास करना समझदारी की बात नहीं। भूत- प्रेत पर विश्वास न रखें सिर्फ ईश्वर की सत्ता पर यकीन रखें।
दूसरों की सहायता करें
बच्चों को बताए कि उन्हें अड़ोस-पड़ोस के दुख दर्द में सहानुभूति रखनी चाहिए। अपने माता-पिता की काम, दाम में सहायता करें। उनका दाहिनी हाथ बनें। घर के खर्च में हिस्सेदारी डालें। उनके आगे रुखा नहीं बोले। अपने गुरुजनों का सत्कार करें। उनकी अवहेलना न करें।
झूठा वायदा ना करें
कभी किसी से वायदा नहीं करें, यदि वचन करें तो उसे निभाएं भी। वादा करके तोड़े नहीं। निर्णय लेने में जल्दी नहीं करें। सोच-विचार कर सभी कार्य करें। दिमाग को सदा जाग्रत रखें।
खुद को रखें स्वस्थ
अपने शरीर एवं आत्मा की उन्नति करने का प्रयास करें। स्वस्थ रहने का प्रयास करें, अच्छी पुस्तकें पढ़ें। सब काम धर्मानुसार, सत्य एवं असत्य का विचार करके करने चाहिए। सबसे प्रीतिपूर्वक यथायोग्य व्यवहार करें।