देश में ऐसी कई महिलाएं रही हैं जो भले ही आज हमारे बीच में न हो लेकिन उनका नाम आज भी लोगों के दिलों में बसा है। उन्हीं महिलाओं में से एक हैं देश की जानी मानी महिला सरोजनी नायडू। आजादी के दौरान वह एक स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी कवियत्रि के रुप में उभरकर सामने आई। यही वजह थी कि जब देश आजाद हुआ तो उन्हें एक बड़े राज्य की जिम्मेदारी सौंपी गई। उस दौरान उन्हें उत्तर प्रदेश का राज्यपाल भी नियुक्त किया गया था। बता दें कि उस समय में उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य था। ऐसे में यह अहम जिम्मेदारी उन्होंने बखूबी निभाई थी। आज सरोजनी नायडू की जयंती है। ऐसे में आपको आज उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ खास किस्से बताते हैं।
हैदराबाद में हुआ था जन्म
सरोजनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 को हैदराबाद में हुआ था। वह स्वतंत्र भारत की पहली महिला था जिन्हें किसी राज्य का राज्यपाल बनाया गया था। 1947 से लेकर 1949 तक वह उत्तर प्रदेश की राज्यपाल रही। इसके अलावा वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष भी थी। सरोजिनी नायडू देश की महान कवयित्रि, स्वतंत्रता सेनानी और गीतकार थी। भारत की स्वतंत्रता के लिए अलग आंदोलनों में हिस्सा लेने के अलावा वह समाज में महिलाओं के अधिकारों के लिए भी लड़ी। भारतीय समाज में फैली कुरीतियों के लिए उन्होंने भारतीय महिलाओं को जागृत किया। आम महिलाओं को स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। ऐसे में वह महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बनी। इसलिए उनके जन्मदिन 13 फरवरी यानी आज राष्ट्रीय महिला दिवस के तौर पर भी मनाया जाता है।
देशभक्ति, त्रासदी, बच्चों पर लिखी कई कविताएं
सरोजनी नायडू ने देशभक्ति, त्रासदी, बच्चों पर कई कविताएं लिखी। वह 20वीं सदी के मशहूर कवित्रियों में से एक थी। उनकी मां का नाम वरद सुंदरी थी। वह कवयित्री थी और बंगला में लिखती थी। उनके पिता का नाम अघोरनाथ चट्टोपाध्याय था जो एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक और शिक्षाशास्त्री थे।
बचपन से ही थी कविताओं में रुचि
पढ़ाई में सरोजनी नायडू बचपन से ही बहुत होशियार थी। उन्होंने मद्रास यूनिवर्सिटी से मैट्रिक की परीक्षा में टॉप किया था। 16 साल की उम्र में वह हायर एजुकेशन के लिए इंग्लैंड चली गई। वहां उन्होंने किंग्स कॉलेज, लंदन और गिरटन कॉलेज में पढ़ाई की। उनकी शादी डॉ गोविन्द राजालु नायडू के साथ 19 साल की उम्र में हुई। उन्हें बचपन से ही कविताओं में बहुत रुचि थी।
केसर ए हिंद मेडल से हो चुकी थी सम्मानित
उन्होंने 1915-1918 तक भारत के स्वतंत्रता के आंदोलनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। गोपाल कृष्ण गोखले, रविंद्र नाथ टैगोर, एनि बेसैंट, महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरु के साथ खासतौर पर जुड़ी रही। इसके बाद 1925 में उन्होंने साउथ अफ्रीका में ईस्ट अफ्रीकन इंडियन कांग्रेस की अध्यक्षता की और ब्रिटिश सरकार की और से सरोजनी नायडू की केसर-ए-हिंद मेडल से नवाजा गया था। यह मेडल उन्हें भारत में प्लेग महामारी के दौरान किए गए काम के लिए दिया गया। हालांकि जलियांवाला बाग हत्याकांड से परेशान होकर उन्हें केसर ए हिन्द सम्मान लौटा दिया।
गोल्डन थ्रैशोल्ड था पहला कविता संग्रह
आपको बता दें कि सरोजनी नायडू का पहला कविता संग्रह गोल्डन थ्रैशोल्ड था। उनके दूसरे तथा तीसरे कविता संग्रह बर्ड ऑफ टाइम तथा ब्रोकन विंग ने उन्हें एक फेमस कवियत्रि बना दिया। 2 मार्च 1949 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में दिल का दौरा पड़ने के कारण उनका निधन हो गया।