महिला शरीर में सबसे अहम अंग जो उसे मां बनने का सुख देता है वो है गर्भाश्य लेकिन जब ओवरी खुद समस्याओं से घिर जाती है तो पीरियड्स-प्रैग्नेंसी से जुड़ी समस्याएं होने लगती हैं। बिगड़ते लाइफस्टाइल के चलते ओवरी में सिस्ट होने की समस्या भी अब आम ही सुनने को मिलती है। छोटी उम्र की लड़कियों को भी सिस्ट की समस्या हो रही है जिन्हें हम फाइब्रॉएड और ओवरी की गांठें भी कह देते हैं।
इसका सीधा कनैक्शन हमारे लाइफस्टाइल से ही है। लाइफस्टाइल सही ना होने से, मोटापे के चलते हार्मोंन्स गड़बड़ाते हैं जिससे ऐसी समस्याएं शुरू हो जाती है। जैसे की हमने पहले बताया कि यह समस्या अब आम सुनने को मिल रही हैं तो महिलाएं घबराकर सिस्ट हटाने के लिए सर्जरी का सहारा ले लेती हैं जबकि हर सिस्ट के लिए सर्जरी करवाना जरूरी नहीं है क्योंकि यह सिस्ट दवाइयों की मदद से भी ठीक किए जा सकते हैं। 3 सेंटीमीटर तक फाइब्रॉइड को दवाओं से ठीक किया जा सकता है। इससे कैंसर होने की संभावना बहुत कम होती है। वहीं ओवरी में सिस्ट होने का मतलब यह नहीं होता कि आप कभी माँ नहीं बन सकती। इसलिए चलिए आपको इसके बारे में पूरी जानकारी देते हैं।
ओवेरियन सिस्ट क्या है?
महिलाओं की यूट्रस के दोनों तरफ दो अंडाशय यानि 2 ओवरी होती हैं। कभी-कभी ओवेरी की भीतरी सतहों पर पानी से भरी थैलियां बन जाती हैं जिन्हे सिस्ट कहते हैं। दरअसल, महिला के गर्भ से निकलने वाले अंडे जब गर्भ नली में ही चिपक जाते हैं तो यही अंडे सिस्ट का रूप ले लेते हैं। ज्यादातर महिलाओं को जीवन में कभी ना कभी सिस्ट की समस्या जरूर होती है। ये सिस्ट छोटे होते हैं जो कोई समस्या पैदा नहीं करते और बिना उपचार के सही भी हो जाते हैं लेकिन अगर सिस्ट का आकार बड़ा हो और दिक्कत दे रहा हो तो स्त्री विशेषज्ञ की सलाह लेना बहुत जरूरी हो जाता है।
यूट्रस में सिस्ट है इसके क्या लक्षण दिखेंगे?
-चेहरे व शरीर पर अनचाहे बाल
-लगातार वजन का बढ़ना
-अनियमित पीरियड्स
-कमर का आकार बढ़ना
-कम भूख लगना
-पेट फूला रहना और सूजन
-बार-बार पेशाब आना
-मल त्याग करने में दर्द होना
-पीरियड्स से पहले और दौरान पेल्विक दर्द
-इंटरकोर्स के समय दर्द होना
-जांघों या पैरों में दर्द होना
-छाती में अकड़न महसूस होना
-बुखार, उल्टियां आना या जी घबराना
अब जानिए ओवेरियन सिस्ट होते क्यों हैं?
फाइब्रॉइड की समस्य हार्मोंन्स असंतुलन की वजह से हो सकती हैं। इसके चलते अगर पीरियड्स की परेशानी हो रही हैं तो चेकअप जरूरी है। इसके अलावा एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित महिलाओं, गर्भावस्था के दौरान, गंभीर पैल्विक इंफैक्शन के कारण बन सकते हैं। पैल्विक इंफैक्शन ओवरी और फैलोपियन ट्यूब में फैल सकता है जिससे ओवरी में सिस्ट बनने शुरू हो सकते हैं। ओवेरियन सिस्ट भी कई तरह के होते हैं।
1.फॉलिकल सिस्ट (Follicle Cyst)
इसमें मासिक धर्म के दौरान थैली में एक अंडा बनने लगता है, जिसे फॉलिकल कहा जाता है। हर महीने यह थैली फट जाती है और अंडा बाहर निकल (एग रिलीज) जाता है लेकिन अगर यह नहीं फटती है तो ओवरी के अंदर ही एक सिस्ट बन जाता है।
2. कॉर्पस ल्यूटियम सिस्ट (Corpus Luteum Cysts)
फॉलिकल सैक एग के रिलीज होने के बाद अपने आप गायब हो जाता है। लेकिन अगर सैक अपने आप गायब नहीं होता है तो उसके अंदर एक और फ्लूइड उत्पन्न होना शुरू हो जाता है और इसे कॉर्पस ल्यूटियम का नाम दे दिया जाता है।
3. पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS)
पीसीओएस महिलाओं को होने वाली अब एक आम हैल्थ प्रॉब्लम हो गई है। यदि इसका समय पर इलाज ना हो तो आगे हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट प्रॉब्लम या कोलेस्ट्रॉल अथवा तनाव या एंजायटी होने लगती हैं। यही नहीं ओवरी के अंदर बहुत से सिस्ट भी बनने लगते हैं जो आगे चलकर बांझपन का कारण बनते हैं।
इस प्रॉब्लम को समय पर रोकना बहुत जरूरी होता है। पीसीओडी-पीसीओएस एक लाइफस्टाइल रोग है। हैल्दी खाएं और एक्सरसाइज व योग जरूर करें। वजन को कंट्रोल में रखें पूरी नींद लें और तनावमुक्त रहें। तलीभुनी और प्रोस्सेड मीठी चीजों से परहेज करें।
ओवेरियन सिस्ट की पहचान के लिए डाक्टर सीटी स्कैन, एमआरआई, अल्ट्रासाउंड का सहारा लेते हैं।
ओवरी सिस्ट के उपचार
ओवरी सिस्ट का उपचार डाक्टर आपके स्वास्थ की स्थिति को देखकर करते हैं। अगर सिस्ट दवाइयों से ठीक होने वाले हैं तो दवा का सहारा लिया जाता है।
गर्भ निरोधक दवाइयांः अगर ओवरी में बार- बार सिस्ट बन रहे हैं तो डाक्टर गर्भनिरोधन दवाइयां दे सकते हैं ताकि ओवुलेशन बंद हो और नए सिस्ट भी बनने बंद हो जाए।
लेपरोस्कोपी : अगर आपका सिस्ट बहुत छोटा है और इसमें कैंसर जैसे लक्षण देखने को मिल रहे हैं तो आप के डॉक्टर इस तरीके का प्रयोग करके सिस्ट को बाहर निकाल सकते है। इस प्रक्रिया में आपके डॉक्टर आपकी नाभी के पास एक छोटा सा छेद करेंगे और एक टूल अंदर डाल कर सिस्ट को बाहर निकाल लेंगे।
लैपरोटोमी: अगर सिस्ट का आकार बड़ा है तो डाक्टर बड़ा छेद कर सर्जरी के जरिए ये सिस्ट निकालेंगे।
अगर आपको कोई लक्षण दिखाई दे तो बिना देरी के डाक्टरी चेकअप जरूर करवाएं ताकि समस्या को समय रहते ही पकड़ा जा सकें।