पेरिस पैरालंपिक 2024 में मेडल जीतने की सबसे बड़ी दावेदारों में से एक भारत की बहादुर बेटी शीतल देवी। शीतल के लिए दिव्यांगता अभिशाप नहीं बन पाई। उनकी कहानी एक प्रेरणादायक यात्रा है जो कठिनाइयों और संघर्षों के बावजूद सफलता हासिल करने और अपने सपनों को पूरा करने की प्रेरणा देती है। वह एक पैरा-आर्चर हैं, जिन्होंने अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना किया लेकिन अपनी इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प से अपने क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त की। चलिए जानते हैं उनके बारे में
विकलांगता के साथ पैदा हुई थी शीतल देवी
शीतल देवी का जन्म एक ग्रामीण इलाके में हुआ था और वे जन्म से ही शारीरिक विकलांगता के साथ पैदा हुई थीं। उनके दोनों हाथ नहीं थे, जिससे उनके लिए सामान्य जीवन जीना भी एक चुनौती था। उनका परिवार आर्थिक रूप से कमजोर था और उन्हें अपनी शारीरिक स्थिति के कारण समाज में भी कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उनके परिवार के लिए उनकी परवरिश एक बड़ी चुनौती थी, लेकिन शीतल ने कभी हार नहीं मानी।
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बचपन से थी खेल में रुचि
शीतल को आर्चरी (धनुर्विद्या) में रुचि थी, लेकिन उनकी शारीरिक स्थिति के कारण यह एक असंभव सपना लग रहा था। हालांकि, उनकी दृढ़ता और खेल के प्रति प्रेम ने उन्हें इसे सीखने और उसमें महारत हासिल करने के लिए प्रेरित किया। आर्चरी सीखने के लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा। उन्हें अपनी विकलांगता के बावजूद धनुष पकड़ने और तीर चलाने की तकनीक सीखनी पड़ी। शुरुआती दिनों में उन्हें कई असफलताओं का सामना करना पड़ा, लेकिन वह लगातार कोशिश करती रही।
सफलता और उपलब्धियां
अपने संघर्ष और मेहनत के कारण, शीतल ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पैरा-आर्चरी में कई प्रतियोगिताओं में भाग लिया। उन्होंने कई पदक जीते और अपनी पहचान बनाई। उनकी कड़ी मेहनत और सफलता के कारण उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर सम्मानित किया गया। उनकी कहानी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बनी।
संदेश और प्रेरणा
शीतल देवी की कहानी हमें यह सिखाती है कि जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाइयं हों, अगर हमारा संकल्प मजबूत हो, तो हम किसी भी परिस्थिति में अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकते हैं। शीतल ने अपने सपनों को साकार करने के लिए अपनी सीमाओं को चुनौती दी और अपने हौसले से सफलता की नई ऊंचाइयों को छुआ। उनका संघर्ष और सफलता उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है, जो अपने जीवन में किसी भी प्रकार की चुनौती का सामना कर रहे हैं।